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जागरूक है । इस प्रकार मनुष्य परिस्थिति, परिवेश और स्वभाव की सीमाओं से बद्ध होने पर भी अपनी आत्मोन्नति के लिए प्रयास कर सकता है क्योंकि उसके कर्म श्रात्म-निर्णीत हैं ।
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संकल्प - शक्ति की स्वतन्त्रता / ९७
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