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________________ भौतिकविज्ञान, जीवशास्त्र और समाजशास्त्र की सहायता लेनी चाहिए। विकासवादी सुखवादियों (स्पेंसर, लेज्ली स्टीफेन और एलेकण्डर) ने ही, वास्तव में, ऐतिहासिक और उत्पत्ति-विषयक प्रणाली को महत्त्व दिया। नैतिकता की उत्पत्ति का इतिहास बतलाता है कि निनैतिकता से नैतिकता की उत्पत्ति हुई। जीवनसंघर्ष के क्रम में नैतिक नियम उत्पन्न हुए। नैतिक नियम के उद्भव को तथा विकास के क्रम को समझाना समाजशास्त्र का काम है न कि नीतिशास्त्र का। विकासवादियों ने जिस ऐतिहासिक और उत्पत्ति-विषयक एवं समाजशास्त्रीय प्रणाली को मान्यता दी वह समाजशास्त्र की है। नैतिक नियमों के उद्भव का इतिहास उनकी प्रामाणिकता को सिद्ध नहीं कर सकता। नीतिशास्त्र का काम 'नियमों का मूल्यांकन करना है न कि उनका ऐतिहासिक और तथ्यात्मक वर्णन करना। कार्ल मार्क्स ने ऐतिहासिक और समाजशास्त्रीय प्रणाली की शरण लेकर समाज की अर्थशास्त्रीय व्याख्या की ओर, इसके आधार पर समझाया कि नैतिक नियम समाज की भूतकालीन और वर्तमान आर्थिक रचना का प्रतिबिम्ब हैं। इस भाँति उसने सामाजिक मान्यताओं और नैतिक नियमों का आर्थिक स्पष्टीकरण किया। - मनोवैज्ञानिक विधि-मनोवैज्ञानिक विधिवालों ने नैतिक तथ्यों को चेतना के विश्लेषण द्वारा समझाया। नैतिक समस्या मानव-स्वभाव की समस्या है। मनोवैज्ञानिक विश्लेषण द्वारा इसको सुलझा सकते हैं । ह्य म, बैथम और मिल मे मनुष्य के स्वभाव, कर्म और प्रवृत्तियों का विश्लेषण करके शुभ के स्वरूप को निर्धारित किया । मनुष्य स्वभाववश सुख की खोज करता है और दुःख का परित्याग करता है । सुख जीवन का ध्येय है। मिल ने मनुष्य-स्वभाव के आधार ‘पर सुख को वांछनीय माना और उसी के द्वारा कर्म के औचित्य-अनौचित्य को निर्धारित किया। कडवर्थ, क्लार्क, शेफ्ट्सबरी आदि सहज ज्ञानवादियों ने भी मनोवैज्ञानिक प्रणाली को अपनाया। चेतना का विश्लेषण बतलाता है कि मानस में कर्म के औचित्य-अनौचित्य को समझने के लिए एक सहजात शक्ति एवं अन्तर्बोध है । सुखवादियों की भाँति मनोवैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक प्रणाली को अपनाने पर भी सहजज्ञानवादी भिन्न निष्कर्ष पर पहुंचे । काण्ट ने भी इसी पद्धति को अपना १. देखिए-भाग २ । ४६ / नीतिशास्त्र Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004082
Book TitleNitishastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanti Joshi
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year1979
Total Pages372
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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