SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 355
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कष्ट - सहिष्णु, स्वावलम्बी तथा सेवा तत्पर बनाने में असमर्थ है। वह अपने धर्म तथा संस्कृति से भी विमुख है । वह विद्यार्थियों को क्लर्कों का जीवन व्यतीत करना भर सिखा रही है । उनके अनुसार शिक्षा का लक्ष्य, नैतिक चेतना को जाग्रत करना होना चाहिए । विद्यार्थियों को स्वावलम्बन तथा श्रम उद्योग भी सीखने चाहिए । परीक्षाओं को अत्यधिक महत्त्व देना भूल है । वे जीवन कादि और अन्त नहीं हैं । शिक्षा द्वारा विद्यार्थियों में कर्तव्य ज्ञान उत्पन्न करना चाहिए। उन्हें देश की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति करने का ज्ञान होना चाहिए । वर्धा शिक्षा केन्द्र इन्हीं आदर्शों पर स्थापित किया गया था और गांधी सेवा संघ भी व्यक्तियों को स्वावलम्बी और आत्म-त्यागी बनाने के लिए खोला गया था । 1 गांधीवाद और समाजवाद - गांधीजी ने सत्य-अहिंसा द्वारा एक नवीन सामाजिक व्यवस्था बनानी चाही । उन्होंने समाजवाद की परिभाषा को व्यापक रूप देना चाहा । समाजवाद से उनका अभिप्राय केवल आर्थिक समानता से नहीं था किन्तु प्राध्यात्मिक एकता, नैतिक निष्ठा तथा कर्तव्यबोध से भी था । उनका कहना था कि सत्तात्मक एकता के सत्य को लोगों को समझना चाहिए । इससे उनकी नैतिक चेतना का विकास होगा । वे समानाधिकार में विश्वास करने लगेंगे | पृथ्वी से उत्पन्न पदार्थों का भोग सभी कर सकते हैं । अमीरगरीब का तथा जातीय राष्ट्रीय भेद मानना अनुचित है । प्रात्म चेतन प्राणी तथा सत्य-अहिंसा के उपासक को अपने कर्त्तव्य और अधिकार को समझना चाहिए | उनके मत के अनुसार पूँजीपति और सम्पत्तिवान् दरिद्रनारायण के 'घन के संरक्षक मात्र हैं । उन्हें गरीबों का अभिभावक बनना होगा और इसलिए विषय - सुख तथा विलासिता को हिंसा समझकर उन्हें अपने ऊपर उतना ही खर्च करना चाहिए जितना उनके मानसिक और शारीरिक जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है ।' उन्हें गरीबों की रक्षा करना, उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति १. स्वयं भी वे अपने जीवन में प्रत्यन्त मितव्ययिता के साथ रहे। जब सन् १९३० में वे यरवदा जेल में थे तो उन्होंने जेल सुपरिटेण्डेण्ट से कहा कि उन पर ३५ रु० मासिक से अधिक खर्च नहीं होना चाहिए । उन्हें खाने के लिए सी क्लास के बरतन मिलने चाहिए। उन्होंने रोज नीम की नयी दातुन तक लेने से इन्कार कर दिया । देखिए – बापू की झाँकियाँ - दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर । ३५४ / नीतिशास्त्र Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004082
Book TitleNitishastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanti Joshi
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year1979
Total Pages372
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy