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________________ करने का प्रयास करते हैं। किन्तु दोनों के लक्ष्य और निर्णयों में भेद है । यथार्थविज्ञान (पदार्थविज्ञान), मनोविज्ञान, वनस्पतिशास्त्र और जीवशास्त्र आदि वस्तुविषयक ज्ञान देते हैं। इसके अन्तर्गत वे सभी विज्ञान आते हैं जो प्रकृति के बारे में बताते हैं तथा मनुष्य को एक प्राणी के रूप में मानते हैं। पदार्थविज्ञान का सम्बन्ध अनुभव के एक विशिष्ट अंग से है । उसके विषय यथार्थ और तथ्यात्मक होते हैं। वह यथार्थ और दृश्यमान जगत के नियमों का अनुसन्धान करता है ; अपरिवर्तनशील प्राकृतिक नियमों को समझाता है। सामान्य नियमों का ज्ञान प्राप्त कर इन नियमों के आधार पर भावी परिणामों के बारे में निश्चयात्मक रूप से कह सकता है। पदार्थ एवं असन्दिग्ध विज्ञान का ध्येय किसी आदर्श को निर्धारित करना नहीं है। वह घटनाओं और वस्तुओं का मूल्यांकन नहीं करता वरन उन नियमों की खोज करता है जिनके आधार पर वस्तुओं के अस्तित्व पर अथवा घटनाओं के घटित होने पर प्रकाश डाला जा सके, उन्हें समझाया जा सके। इसके विपरीत प्रादर्श-विधायक विज्ञान उस मापदण्ड अथवा प्रादर्श की खोज करता है जिसके आधार पर विचार, भावना तथा कर्म के गुण का मूल्यांकन किया जा सके। वह मूल्य के मापदण्ड की खोज करता है; मानव-जीवन के मूल्य का निर्धारण करता है । यहाँ पर यह जान लेना उचित होगा कि मानवअनुभूति की तीन सर्वोच्च मान्यताएँ हैं : सत्य, शिव और सुन्दर । यह कुछ अंशों तक मनश्चेतना के तीन स्वरूपों-ज्ञानात्मक, क्रियात्मक तथा रागात्मक से सादश्य रखते हैं । अतः आदर्श-विधायक विज्ञान के अन्तर्गत तर्कशास्त्र, नीतिशास्त्र और सौन्दर्यशास्त्र प्राते हैं । ये तीनों एक ही परिवार के हैं। तीनों ही उन मापदण्डों की खोज करते हैं जिनके आधार पर विचार, प्राचार और सौन्दर्य का मूल्यांकन किया जाता है । तर्कशास्त्र सत्य और असत्य के निर्णय का विज्ञान है। वह सत्य-विचार के मापदण्ड को निर्धारित करता है; तर्क के सिद्धान्तों का निरूपण करता है। नीतिशास्त्र आचरण का विश्लेषण करके उसके शुभाशुभ के बारे में निर्णय देता है। परमध्येय के स्वरूप को निर्धारित करने के पश्चात् वह सिद्ध करता है कि कौन-से कर्म परमध्येय की प्राप्ति में सहायक हैं। वह उस मापदण्ड की खोज करता है जिसके आधार पर उचित-अनुचित, शुभ-अशुभ के निर्णयों का समाधान कर सकते हैं। नीतिशास्त्र मानव-शुभ का विज्ञान है । इसी प्रकार सौन्दर्यशास्त्र सौन्दर्य और असौन्दर्य के निर्णय का विज्ञान है । यह सौन्दर्य की कसौटी प्रस्तुत कर सौन्दर्य का निर्माण और मूल्यांकन करने के लिए मापदण्ड देता है । अतः आदर्श-विधायक विज्ञानों का सम्बन्ध नीतिशास्त्र और विज्ञान | ३३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004082
Book TitleNitishastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanti Joshi
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year1979
Total Pages372
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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