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फ्रेडरिक नीत्से
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जीवनी - फ्रेडरिक नीत्से ( Friedrich Nietzsche ) का जन्म १६ अक्टूबर १८४४ में हुआ । उनके पिता पादरी थे । उनका पालन-पोषण ईसाई धर्म के वातावरण में हुआ । स्वभावतः छुटपन से ही उनकी पादरी बनने की उत्कट अभिलाषा थी । किन्तु विधाता ने उनको अनीश्वरवादी बना दिया । वह एक मधुर प्रकृति के, विनम्र सहृदय तथा ग्रात्म-प्रबुद्ध व्यक्ति थे । किन्तु प्रत्यन्त उच्चाभिलाषी और तर्कप्रधान होने के कारण वह दुष्टबुद्धि हो गये । उनकी महत्त्वाकांक्षाएँ विषम परिस्थितियों द्वारा बुरी तरह कुचली गयीं । उनके जीवन की घटनाओं का अध्ययन करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि उनका जीवन निराशा और कटुतापूर्ण था । वे सेना के किसी उच्च पद पर होना चाहते थे । पर अपनी क्षीण चक्षुशक्ति, अस्वस्थता और घोड़े से गिर पड़ने की दुर्घटना के कारण उन्हें सेना में स्थान नहीं मिला । वह जिस स्त्री को चाहते थे उसे भी न पा सके और आजन्म अविवाहित रहे । वह बौद्धिक मित्रता के इच्छुक थे, वहाँ भी उन्हें सफलता न मिली । अन्त में अपनी ही मोल ली हुई विपत्तियों द्वारा, 'अपनी उच्चाभिलाषा और असहिष्णुता के कारण, उनके जीवन में असह्य एकाकीपन आ गया । वह इतने आक्रान्त हो गये कि उनकी क्षुब्ध मनःस्थिति ने उन्हें पागल बना दिया और २५ अगस्त १६०० में वे निमोनिया से पीड़ित हर चल बसे ।
सिद्धान्त का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण —— नीत्से के सिद्धान्त को उचित रूप से समझने के लिए उनके जीवन का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण आवश्यक है । केवल पुस्तकों के अध्ययनमात्र से उनके स्वभाव और दर्शन के सम्बन्ध में भ्रान्त ३०६ / नीतिशास्त्र
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