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________________ हॉब्स' जड़वादी विचारक था। उसने यूनानी विचारकों से, विशेषकर अरस्तु से प्रभावित होकर यह स्वीकार किया कि मनोविज्ञान नीतिशास्त्र का पूर्वविषयः है । मनोविज्ञान यह बतला सकता है कि मनुष्य किस प्रेरणा के वशीभूत होकर कर्म करता है। जड़वादी होने के कारण हॉब्स ने अपने मनोविज्ञान को इन्द्रिय एवं शारीरिक सुख तक सीमित कर दिया। नीतिशास्त्र के क्षेत्र में ऐसे मनोविज्ञान की परिणति परम स्वार्थवाद में हुई । मनुष्य का स्वभाव : स्वार्थी, प्रात्म-संरक्षण और सुख का इच्छुक - हॉब्स: जड़वादी और अनात्मवादी था । उसने मनुष्य के विचारों, कल्पनाओं, भावनाओं श्रादि को शारीरिक व्यापारों का सूचक माना । सुख से उसका अभिप्राय उन व्यापारों से है जो जीवन अथवा प्राणिक क्रियाओं की वृद्धि करते हैं । दुःखः के व्यापार उसके अनुसार इन क्रियानों के अवरोधक हैं। शारीरिक सुख ही एकमात्र शुभ है । उसने अपने दर्शन द्वारा यह समझाने का प्रयास किया कि मनुष्य अपने शरीर की रक्षा करता है । अतः उसे सुख की खोज करनी चाहिए उसने मनुष्य के स्वभाव का विश्लेषण भी किया । वह इस परिणाम पर पहुँचा कि मनुष्य की इच्छाएँ, भावनाएँ, प्रवृत्तियां आदि श्रात्मरक्षण सम्बन्धी हैं । उसका सम्बन्ध आत्मसुख से है। मनुष्य स्वभाव से असामाजिक और स्वार्थी है । जिन्हें उच्चभाव और परमार्थी प्रवृत्तियाँ कहा जाता है, जैसे दया, त्याग, सहानुभूति, स्नेह प्रादि- वे अपने मूलरूप में स्वार्थ की उपज हैं । उनके मूल में श्रात्म-प्रेम है । वैयक्तिक- सामाजिक सुख का प्रश्न - हॉब्स के अनुसार मनुष्य की प्रवृत्तियाँ श्रात्म-संरक्षण सम्बन्धी हैं । उसमें दूसरे का सुख खोजने की कोई प्रेरणा नहीं है । किन्तु फिर भी वह कहता है कि मनुष्य की बुद्धिमत्ता इसी में है कि वह दूसरों के सुख की भी खोज करे । व्यक्तिगत सुख सामाजिक सुख के साथ सामंजस्यः . स्थापित करने पर ही सम्भव है । एक ओर तो वह स्पष्ट रूप से वैयक्तिक श्रात्म-कल्याण और वस्तुमूलक सामाजिक कल्याण को श्रसम्बद्ध मानता है और दूसरी ओर यह कहता है कि व्यक्ति को सामाजिक सुख की परवाह करनी चाहिए । यदि व्यक्ति के कर्म श्रात्मसुख की प्रेरणा से संचालित होते हैं तो परसुख आवश्यक क्यों है ? हॉब्स का कहना है कि वैयक्तिक सुख की प्राशा से, व्यक्ति सामाजिक सुख की खोज करता है । 1. Thomas Hobbes 1588-1679. १३८ / नीतिशास्त्र Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004082
Book TitleNitishastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanti Joshi
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year1979
Total Pages372
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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