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________________ दया धर्म का पालन करें, कुमार्ग पर न चलें। सबसे प्यार रखें। - [३१५ यह विना और मंत्र महान् चमत्कारी है। यह विद्या और मंत्र सर्वज्ञ भगवान की सदृशता को धारण करते है। 8-सात वर्ण वाले मंत्र का ध्यान-संसार रूप दावानल को एक क्षण बार में उच्छेद करने की तुम्हारी इच्छा हो तो इस मंत्र का जाप करें मंत्र-नमो अरिहंताणं । १०–आठ कर्मों को नाश करने के लिए इस पांच वर्ण वाले मंत्र का जाप करें-मंत्र-नमो सिद्धारणं । ११-सब प्रकार के अभय के लिये इस मंत्र का जाप करें ॐ नमो अर्हते केवलिने परमयोगिने, विस्फुरदुरुशुक्लध्यानाग्निनिदग्ध कर्मबीजाय, प्राप्तानंत चतुष्टयाय, सौम्याय, शांताय मंगलवरदाय स्वाहा । यह मन्त्र अभय देने वाला है। १२-सामान्य विद्या-हृीं ओ ओं सो हम्ली हं प्रों ओं हीं। इसका जाप करें। १३-अचिंत्य फलदा गणधरकृत विद्या ध्यानॐ जोग्गे, मग्गे, तत्थ, भूए, भव्वे, भविस्से, अंते परक्खे जिणपार्श्व स्वाहा। १४-आठ पंखड़ी वाले कमल में झलझलाट करते हुए तेज वाली आत्मा का चिंतन करना और नीचे लिखे आठ अक्षरी विद्या के पाठ अक्षरों को उस कल्पित कमल की पूर्व दिशा की तरफ से प्रारम्भ करके एक-एक अक्षर को स्थापित करें फिर इस कमल के अक्षरों पर ध्यान करते हुए ग्यारह सौ (११००) बार जाप करें। सब प्रकार के सुखों की प्राप्ति हो। विद्या-ॐ नमो अरिहताणं । विघ्न शांति के लिये उपर्युक्त विद्या का आठ दिन तक प्रतिदिन ११००. जाप करने से सब प्रकार के विघ्न' शांत हो जावें । आठ रात्रि बीतने पर जाप करने वाले को ऐसा सामर्थ्य आ जाता है कि आत्मा में कल्पित कमल के अन्दर रहे हुए स्थापित आठों वर्ण अनुक्रम से दिखलाई देंगे। इस आठ अक्षरी विद्या के हृदय में अक्षर देखने वाले को ऐसा सामर्थ्य हो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004078
Book TitleSwaroday Vignan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1973
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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