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आपकोई पूछ ती उत्तम सील ६, पंश भलाई में, परोपकार करें।
प्रयोगादि की सब विधियों का भी सुन्दर वर्णन किया है। ....
नवकार मंत्र, उवसग्गहरं, नमुत्थुणं, लोगस्स, भक्तामर, कल्याणमंदिर, वसुधारा, घंटाकरण महावीर, माणिभद्र, क्षेत्रपाल, भोमिया जी, धरणेन्द्रपद्मावती, सरस्वती (विद्यादेवी) लक्ष्मी, चक्रेश्वरी, इत्यादि अनेकानेक के मंत्रों-यंत्रों-तंत्रों का आराधन विधि सहित बहुत बड़ा संग्रह भी हिन्दी भाषा में लिखकर तैयार कर लिया गया है । ____इन दोनों ग्रन्थों १-शारीरिक लक्षण तथा २-मंत्रादिसंग्रह के लिये यंत्रों के चित्र, ब्लाक्स तथा छपाई के लिये हजारों रुपयों का खर्चा है, तत्पश्चात् पुस्तकों के प्रकाशन आदि में भी अधिक महंगाई के कारण काफी खर्चा आ जावेगा।
इसलिये इनके प्रकाशन के लिये यदि जिनशासन-रसिक धर्मनिष्ठ सुश्रावक वर्ग आर्थिक सहयोग देने की उदारता दिखलावेंगे तो ही इसके प्रकाशन का कार्य हाथ लेना सम्भव है। जितना जल्दी सहयोग मिलेगा उतनी झड़प से कार्य सम्पन्न हो सकेगा।
इन दोनों ग्रन्थों के कई विभाग बन जावेंगे । जो महानुभाव एक-एक विभाग का पूरा खर्चा देकर छपवाना चाहेंगे यदि वे चाहेंगे तो उनका परिचय तथा फोटो उस विभाग में प्रकाशित कर दिया जावेगा और उन्हे कुछ पुस्तकें भी भेंट रूप दे सकेंगे।
इनके प्रकाशन से लाभ इनके सरल हिन्दी भाषा में प्रकाशन हो जाने पर अनेक भव्य जीव इनकी आराधना द्वारा संकटों से छुटकारा पाकर सुखी होंगे सम्यक्तत्व को पाएंगे तथा सम्यक्तव पाये हुए व्यक्ति जिनशासन में सुदृढ़ होकर जैन धर्म के सच्चे अनुरागी बनेंगे । अधिक क्या लिखें। दिल्ली
हीरालाल दूगड़ ३०-११-७३
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