SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 216
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मित और मधुर भाषी सज्जनों में प्रशंसा पाता है । है । इसलिये इसमें चार अंगुल प्रमाण कहा है। इस तत्त्व का स्वाद तीक्ष्ण इसलिये है जिसकी तीक्ष्णता (सूक्ष्मता, दुर्ज्ञेयता ) में दूसरी वस्तु प्रवेश न कर सके । ऊर्ध्व गति इस तत्त्व की इसलिये है कि जो चीज हल्की होती है । वह स्वभावतः ऊपर को जाने वाली है, और भारी होने से नीचे को गति करने वाली होती है । इसलिये कर्म रूप मल न होने से इस सिद्ध के जीव की ऊर्ध्वगति कही गई है । इसका त्रिकोण आकार इसलिये कहते हैं कि तीन भाग अवगाहना के करने से एक भाग कम हो जाना और दो भाग रहना, इसलिये इस तत्त्व को तीन भाग की अपेक्षासे त्रिकोण कहते हैं । इस रीति से सिद्धतत्त्व का निरूपण किया है । अब आचार्य तत्त्व के विषय में कहेंगे । [१८३ ३- श्राचार्य तत्त्व आचार्य तत्त्व का पीला रंग है, वह शास्त्रों में प्रसिद्ध है, युक्ति देने का कोई प्रयोजन नहीं जान पड़ता, इसलिए युक्ति नहीं दिखलाते । यह तत्त्व बारह अंगुल चलता है और अंगुल के विषय में युक्ति यह है कि तीर्थंकरो के मुख से त्रिपदी सुनकर द्वादश अंग प्रर्थात् जिनमत के बारह वेद रचते हैं । और बारह वेदों में भूत, भविष्यत् वर्त्तमान तीनों काल की बातों का समावेश है, इसलिए उनकी बारह अंगुल गति कही गई है । रस - स्वाद मीठा इसलिये है कि कुल समुदाय को विश्वास में लेकर मार्ग में चलाते हैं । समचतुरस्र इसलिये है कि उनका चारों (साधु, साध्वी, श्रावक श्राविका ) पर सदृश भाव है । इसलिये प्राचार्य तत्त्व को समचतुरस्र ( चौकोण ) कहा है । , सीधी गति इसलिये कही है कि समुदाय में आचार्य की न्यूनाधिक भावपरिणति नहीं होती । इस प्रकार आचार्य तत्त्व को पहचानों । अब चतुर्थ उपाध्याय पद का वर्णन करते हैं । ४- उपाध्याय-तत्त्व चतुर्थ उपाध्याय तत्त्व का वर्ण हरा, प्रमाण अंगुल आठ, गति तिरछी, आकार ध्वजा सम, स्वाद खट्टा । इसका आठ अंगुल प्रमाण इसलिये है कि, For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.004078
Book TitleSwaroday Vignan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1973
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy