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- जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा है। उसमें दोष ही क्या है ? आपके गुरू की अस्थियाँ कलशों में रखकर पूजते हो उनसे तो चक्रवर्तियों का चारित्र कई गुणा अधिक होगा, यह तो आप भी मानेंगे ही न ?
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