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________________ ७८ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा मूर्तियाँ तीर्थंकर की हैं। समीक्षा → दीपक जैसे स्पष्ट पाठ से अत्यंत स्पष्ट रूप से अरिहंत प्रतिमा की सिद्धि हो रही है । मतमोह से डोशीजी अर्थ बदलने की बालचेष्टा कर रहे है, परंतु उसमें असफल हुए है । देखिए - डोशीजीने चालाकी करके जानबुझकर मूल पाठ को छिपाया है " धुवं दाऊण जिणवराणं अट्ठसयविसुद्धगंथजुत्तेहि अत्त्थजुत्तेहिं अपुणरुत्तेहिं महावित्तेहि संधुणइ संधुणित्ता सत्तट्ठपयाइं पच्चोसक्कइ पच्चोसक्कित्ता" इसमें रेखांकित पाठ को छिपाया है । जिसमें आगम स्पष्ट शब्दों में कह रहे हैं जिनेश्वर परमात्मा (जिनेश्वर परमात्मा और जिनप्रतिमा में अभेद मानकर यह कहा गया है) को धूप देकर उनकी १०८ अर्थयुक्तादि विशुद्ध स्तुतियाँ की । दूसरी बात कामदेवादि प्रतिमाओं की सम्यग्दृष्टि सूर्याभ देव १०८ स्तुतियाँ क्यों करे? वहाँ से ७-८ कदम पीछे हटकर 'नमुत्थुणं' कहा इसका जिनेश्वर परमात्मा की पूजाविधि की अनभिज्ञता से मताग्रह से उलटा अर्थ कर रहे है । वर्तमान में परंपरा से यह अतिप्रसिद्ध है जैन मंदिर मे जाकर प्रथम गंभारे के बाहर स्तुतियाँ बोलकर पीछे जाकर चैत्यवंदन (नमुत्थुणं) विधि की जाती है । इससे जिनप्रतिमाओं को ही स्तुति और नमुत्थुणं किया उसकी सिद्धि होती है I 1 | 1 कदाग्रह से नमुत्थुणं को सिद्धों की स्तुति सिद्ध करने का प्रयास कर रहे है वह भी अयुक्त है। नमुत्थुणं सूत्र में अरिहंताणं विशेष्य है उसी के सभी विशेषण है जो भाव तीर्थंकर के विशेषण हैं और "सिद्धिगइ नामधेयं " से द्रव्य अरिहंत के विशेषण है । मोक्ष में जाने पर अरिहंत द्रव्य तीर्थंकर कहलाते है । अत: नमुत्थुणं द्रव्य-भाव अरिहंत की वंदना है, अकेले भाव तीर्थंकर की नहीं कापडियाजी का उद्धरण दिया उससे भी इसी की सिद्धि होती है । स्थापना और द्रव्य - भाव तीर्थंकरों में कथंचित् अभेद मानकर स्थापना के सामने नमुत्थुणं का पाठ किया, जो धूवं दाऊण जिणवराणं से सिद्ध होता है। आगमसूत्र खुद ही इसके साक्षी है । स्थापना का आलंबन लेकर आराधना तो द्रव्य - भाव जिनकी ही होती है। सूत्र में स्पष्ट अक्षरों Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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