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जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा ६. भूमिका की समीक्षा पृ. १४ → चैतन्यने शांति चैतन्य पासेथी ज मली शके पण जड पासेथी आध्यात्मिक शान्ति न ज मली शके ए सहेजे समजी शकाय तेम छे आंबानी गोटलीमांथी ज आंबो मेलवी शकाय, सबीज जुवारमांथी ज जुवार प्राप्त करी शकाय, पण पत्थरनी आंबानी गोटली बनावीने के पत्थरना जुवारना दाणा बनावीने सारामां सारी कराल जमीनमां वाववामां आवे अने उपर वरसाद वगेरे मनमानता पूरता प्रमाणना साधनोनो उपयोग थाय तो पण एमांथी-आंबाना नाममात्र बीजमांथी आंबो के जुवार वगेरे कांई पण न ज मेलवी शकाय, एटलु ज नहि पण ए जड बीज सामे गमे तेवी प्रबल प्रार्थना के भावना पण सफल थती नथी कारण के ए आंबानी गोटली के जुवार ने मात्र नाम आपेल छे, अथवा ते तेनी मिथ्या स्थापना करेल छे, जेथी ते फलदायक बनती नथी कारण के ते वस्तुमां तेनो मूल गुण होतो नथी एटले उद्यम करनारनो वर्षोनो उद्यम होय तो पण ते शून्य परिणाम ज निवड़े छे, ए सनातन सत्य छ ।
समीक्षा → केवी अज्ञानता !!! भाव निक्षेपाना बीजना कार्यनी अपेक्षा स्थापना बीज पासे राखवी, ते कार्य ते केवी रीते करी शके ? बीजनी ओलखाण वगेरे स्थापना निक्षेपाना कार्यो स्थापना बीजथी थाय ज छे.
पृ. १५ → श्रमणोपासक-श्रावकनी ज्या-ज्यां दिनचर्या सिद्धान्तोमां बतावेल छे त्या देशविरती चारित्र अने नानाविध तपनी ज विधि बतावेल छे कोई पण ठेकाणे प्रतिमाजीनु पूजन-अर्चन के ते सम्बन्धी विधि विधान क्या बतावेल नथी.
समीक्षा आनंदादि श्रावको सम्यक्त्व उच्चरे तेना आलावा मां स्पष्ट रीते "नन्नत्थ अरिहंत चेइयाइं" अरिहंत सिवाय बीजी प्रतिमाओने नही मानवानु विधान छ ज ।
पृ. १६ → श्री ठाणांगजी सूत्रना चोथे ठाणे श्रमणोपासक ने माटे
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