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जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा
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आत्मशुद्धि के उद्देश्य से जो भी किया जाता है वह मात्र आलम्बन लेकर विशेष जिनाज्ञापूर्वक ही किया जाता है । स्वच्छंदता मनमर्जी को इस जिनशासन में कोई स्थान नहीं है बिना आलम्बन व्यर्थ की क्रियाएँ ही है वे आत्मा का अभ्युत्थान नही कर सकती है । जिनाज्ञा विरूद्ध लिखा हो तो मिच्छामि दुक्कडं ।
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भूषण शाह चन्द्रोदय परिवार
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