SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा गाय को घास नहीं खिलाना या पानी नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि इसमें भी हिंसा है। तेरहपंथी-स्थानकपंथी को प्रश्न पूछते हैं कि- "आप क्यों जिनमंदिरजिनमूर्ति व मूर्तिपूजा का विरोध करते हो ?" स्थानकवासी उत्तर देते हैं कि - मूर्तिपूजा में फूल, पानी अग्नि आदि की हिंसा होती है, इसलिए हम मूर्तिपूजा का विरोध करते हैं। तब तेरहपंथी प्रश्न करते हैं कि- हे स्थानकवासी ! आपको गाय को घास भी नहीं डालती चाहिए, पानी भी नहीं देना चाहिए और पक्षी को दाना भी नहीं खिलाना चाहिए । क्योंकि ये भी सजीव है, इसमें भी हिंसा है । गरीब को भोजन भी नहीं करना चाहिए, इसमें भी जीव हिंसा है.। इस प्रश्न का स्थानकवासियों के पास क्या उत्तर है ? गौतमस्वामी और अष्टापदतीर्थ स्थानकवासी संप्रदाय में अनंत लब्धिनिधान श्री गौतमस्वामी का एक श्लोक बारंबार गाया जाता है- यथा अंगूठे अमृत बसे, लब्धितणा भंडार । श्री गुरु गौतम समरिये वांछित फल दातार ॥ इस गाथा का अर्थ : (१) गौतमस्वामी ने श्री आदिनाथ भगवान का निर्वाणस्थल अष्टापदगिरि पर श्री आदिनाथजी के दर्शन हेतु जा रहे १५०० तापस संन्यासियों को अक्षीणमहानस नाम की लब्धि से पात्र में अंगुठा रखकर पारणा करवाया था, इसलिए कहते हैं- "अंगूठे अमृत बसे." (२) तथा स्वलब्धि-विद्याबल से सूर्य की किरणों को पकडकर वे श्री अष्टापदगिरि की यात्रा करने गये थे- जहाँ श्री ऋषभदेव-आदिनाथ के निर्वाणस्थल पर उनके पुत्र भरतचक्रवर्तीने जिनमंदिर बनवाया था, वहाँ वे दर्शन करने गये थे। इस प्रकार उन्होंने लब्धि का उपयोग अष्टापदगिरि तीर्थ यात्रा में किया था, इसलिए कहते हैं- "लब्धि तणा भंडार" Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy