________________
जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा परिशिष्ठ-५
२५
१६ ३, ५ गुणसिलाओ चेइयाओं। उल्लतीरेनगरेण जंबुए चेइये १८ २, ७ विसाहना नगरी बहुपुत्तिए नेइये। गुणसिलए चेइये १८ ८, १० गुणसिलए चेइये गुणसिलाओ चेइयाओ
भगवती सूत्र में आया शब्द चैत्य जिसकी सूची ऊपर दी गई है, किस जगह कैसे उपयोग में आया है विचार किजीयेगा कि क्या यहां कही पर भी चैत्य शब्दका अर्थ "ज्ञान'' घटित हो सकता है ? एवं चैत्यशब्द के विशेष स्पष्टिकरण के लिये कृपया रायपसेणी सूत्र देखियेगा, जिस में आमल कप्पा नगरी में अंबसालवण चैत्य का काफी वर्णन है। जिस में चैत्य की सुंदरता पवित्रता, स्वछता का, विभिन्न प्रकार के वृक्षों से छत्र ध्वजा आदि पताकाओं से शोभायमान का वर्णन देख सकते है। चैत्य शब्द का उपयोग वस्तु विशेष के लिये ही हुआ है जो कि पुद्गल से ही संबंधित है जब कि ज्ञानजीव से संबंधित है सोचियेगा।
जिनदर्शन तथा गुरुवन्दन का अनुपम प्रभाव दर्शनेन जिनेन्द्राणां, साधूनां वन्दनेन च । न तिष्ठति चिरं पापं, छिद्रहस्ते यथोदकम् ॥
अर्थ-श्री जिनेश्वर देवों का दर्शन करने से तथा साधु पुरुषों को वन्दन करने से-छिद्रवाले हाथ में जिस तरह जल टिक नहीं सकता है, उसी तरह दीर्घकाल पर्यन्त पाप टिकता नहीं है ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org