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________________ परिशिष्ठ-२ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा __ २६२ ও ওযwয়সৎসকৰে৭কিনেৰেসিল্ক সুবহাচট? - ११७६अचेलकउद्देशकादि साधुकादशप्रकारका कल्प' (३२) सत्र के मूलपाठ करूं------ तपके प्रस्तान मुनियों को उसलतिईहावीसलब्धियों , का नाम तयागुणशसूत्रके मूलपाहमें कहा है ?... ------- १७ जेनरूपीकमरतका मूलसमान सर्वसुरेखाकुं प्राप्त करानेवाला सम्पत्तके बोल सूत्रके शूलपाइमें कहा है ?--------- जए आवकप के शगुण'कस्तो सो(३२)मनके मूलपाठ करूं निवप्रा सामायिक इतकेरइशदोष' कहतेहोसो(३२) सूत्रके मूलपान कहालेर .... र क उम्सगके(४)दोष करतेसो (३२)सत्रके मूलपाठमें कहा है? असतायोका कालप्रमाण (२)सत्रकेमूलपाठमें कहा है? .. . दीक्षादेतां चोरी उरवाड तेले सो (३२) सत्र के मूलपाइका कही? माधुकुंछ महिन जोनकरणकहतेहमोसत्रके पलवा को मलाच करायके सर्वसाधुलोको वंदना करनी कहते सारसासनके मूलपाहमें कहा है --------............. एपलधिकमासहवेतो पाचमहीने का नउमासा करना' का ते मो(शासन के मूल कहले ? For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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