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________________ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा परिशिष्ठ-२ २६१ शापहेलीतरकरारज्जुकीकहतेहोसासूत्रकेमूलपाठमें कहा है? २६ नसरीनर कसेंएक एकरनुकीरहिकारती एसा कहते सार) सत्रके मूलपाळमें कहा कहो?--- पासपूर्तपदवीधार" (३२) सूत्रके मूलपाहमें कहा है ?........... पर मिरगातार असंरत्यातादिक गिणती करम विनारसमजानेके वास्ते कल्पना रूपसदिखायाऊवा-सलाका प्रतिसलाकामा सलाका अगस्तित(४)श्नचार प्यालकाअधिकार(३) सलके मूल पाठ में कहर-------- जसर्वनारकीयांके पॉश, अंतरे, लालगाएंना स्विति, आदि का लाधिकार रामनके मूलपाने का है रासीझनाधार वकालरासनके मूलयाऽमें कहा? निरकका)परतलाशतररसूत्रके मूलपा करहेका और दिनलोककी पडतला उसलके मूलपाछमें कहा . १७२ जो पाचनविदेहविचरते हैं, और आपलोगनिनों की आज्ञाको मुख्यपररवके प्रतिक्रमणादिसक्रियाकर हो उनवीस रमानों का सविस्तर अधिकार व स्त्र के मूलपाने काही "१७३ तीर्थकरोंकीपैंतीसवाणीजदीदी करतेो सोर) सूत्रके , मूलगामें कहा है ? ডালপালকগু’কটক্যংহাসপদক Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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