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परिशिष्ठ-२ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा
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पशपांचने आरके लेहडे एकही फलानी सामरहमी ऐसा करते
साइर) सूत्रके मूलपाठमें कहे? रिपपांचवे मारेके छेहडे एकही नागिलनामा श्रावकरहेगा' ऐ मा.
करतोसोरशसूत्रके मूलपाठने कहा है? सय पांचवें सारे के छेडे एकही ससनीनामा शानिकारहेगी ऐसा
कहते सो(३)सूत्रके मूलपाठ में कहा ?----
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परवदे गुलाएकाधार'जे हमेशपदते विचारतेको सो (३२)मत्र
कि फूलपाठने कहाने बधि हुयेक जीतको उदय में आते है सो उद्याधिकार(१२२)
प्रकृतिको करलेले मोर सनके भूलपाउने कार--- पजीन की के साथ धाक साकारसें करे सो बंधाधिकार' (३२)
र सत्रका मूलयाहरु कहिट - -- रमजान कका बंध करके कितनेक कालतक कायम पणे रस्के.
सासत्ताधिकार प्रकृतिका ३२ स्लिकेपूलयामें कर? जिसके योग में जीव पाणा काजाताले सोजीत्रके दशप्राण
सस्तके सूतया में कहा दरजीवके सीपहालेदकीय तागती(३०मूत्रकेमूलपाठने कहा है?
नासहिये का घोडा रचनेकी रीति(३२)सत्रके मूलपाछमें कहा सर्वलोकारनामा करते हो मो(३२)सनके मूलपाहमें कहा है?
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