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‘परिशिष्ठ-२ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा
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विचकोशिकनामका सप्पजनवारलवावंत को इसने लगा तब दालनीस्वामताका दृष्टिविम नाशिमा सवा
जगवूतने बुजबुज क्र पनि प्रतिबोधकिया कहतकोसोव) सूत्रके मूलपाठमें कहा है सादर झीमहावीर को चतुमासमतपका पारणेनं पूरणसे ने उनके
बाकलेदीने करते सोशास्त्रकेमूलपाने कांदा रात्रीचारप्रजुनेरहाचोमासेनालंदेयाने किकस्तो सीमास्त्रक
मुलपाटने कहा --------------- रिचरलबालादधिचाहत राजाकी बेटी कस्तो सो)सूत्रके मूला
पातिकहाले यिनिंदानबालाघलासेके घरमें रती कहतेसमोर नत्रके मूलया पनि कता है। দত্ৰৰংললাললাললালালাবালছাসনকাকাকোলা’ই।
कले लोशन के मूलपाठ में कहा मौलानहावीरस्वामी केवलज्ञातम्यवादसमवसरण आयकें
बादकीया करतेहो सो ३२) सूत्रके चूलपाठ में कहा है। श्रीमहावीर स्वामी ने दोकादिनसें लगाके केवलज्ञानका प्राप्तित करें
मामाचारभास दोभासादामी तपाका सवतिप स्नेहोसार सूत्रके मूल पाठमें कहा
दीवाली के दिनदेशके राजाने घोषधकिया कहते सिके मूलपाने की आज्ञापायका
नागौतम स्वामीजी देवशक्कुिंप्रतिबाध्ने को गये? क " র কীংহহ হসপুষদ"ছ"-~
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