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________________ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा परिशिष्ठ - २ पावापुरीका 'के गवन् ७० हस्तिपाल राजा वीरगवंत कु वीनती करी चरम चोमा सा यहां करो?? ਧਰ ऐसा कहते हो सो(३२) सूत्र के मूल पाठ में कहा है ? निर्वाण के समय पर श्री वीर भगवान्‌ की जन्म राशि उपर दो हजार वर्षका नस्मग्रह बें 'ग' कहतेहो सो (३२) सूत्र के मूलपाठ में कहा है ? २५१ श्री वीर भगवंत के निर्वालसे दीवाली चाली' ऐसा कहते हो सो (३२) सूत्र के मूल पाठनें कहां है? ऐसा रवती अधिकाने श्रीनवी जगवेंत के वास्ते को लापाक वाया कहते हो सो (३२) सूत्र के सूला 16 में कहा नामी का तथा अन्यगलबरों का परिवार मूलपाठ में कहाहे ? 'झाधु' * जोजो व्यवधान होता गया लोकों चोवीशमा ७प श्री रुषशदेवप्रभु से लेके श्री महावीर पर्यंत { को सुनाते हो सो चोवी ना तीर्थ ष्ट्र के प्रांत रे (३२) सूत्र के मूलपाठ में कहाँ है ? (३२) सूत्र के कहते हो सो ७६ श्री वीरप्रत्तुका नक्त श्रेणिकराजा चेडा महाराजा की पुत्री चेलला राली सही छल करके व्याही कहते हो सौ (३२) सूत्र के मूलपाठ में कहां है ? ते हो, सौ. (३२) सूत्र के. या था ऐसा. Jain Education International ७७ श्री बेडा महाराजाकी सातों बेटीयां मूल या हमें कहा है? ७८ श्री बेडामहाराजा की पुत्री बेलगातें जोगियोंकुं जुत्तिये करके खि लाई कहते हो सो (३५) सूत्र के मूलपाठ में कह है ? For Personal & Private Use Only ... www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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