SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 252
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा परिशिष्ठ-२ २४९ . . . पादिक्षा लिये बाद कायोत्सगो रवानीपार्श्वनाथजीकुं कमवतापसकाजीव प्रेमनालीदेवकेलवैसें आयके जलवों दिक उपसर्गकिये कहतेोमोस)सूत्रके मूलपाठ में कहा है 2ीर.. - - पर श्रीवीर जावंतकी माता त्रिशलाराली डामराजाकीबहि नयोऐसा करते हो सोशस्त्रके फूलपाठ करूं ...... परमीमहावीर स्वामीकेलवकल्तेरोसो)नके पूलपाउमें कहा? नामवीर स्वामी का जन्मोत्सवा६)शेने मेरुपर्वत पर किया. तबअंगुठे सेंदबाकर मेरुपर्वतकं कंपाया करतेतो सो). के मूलपाहमें कोहर .. ....... मा-श्रीमहावीर स्वामिका जमाली जाणजोकहतेसेसोस)सत्रक मूलपाठमेकहा है पनमालीकुंवारप्रनुकाजमा कस्तेहसागसत्रकेतूलपाने की पण मीश्रीमहावीरस्वामीजीकीबेटीको ढंकनामानावकने समजाई को करतेफोसो (३)मनके मूलया में कहे------ पवारलगवाने को दीक्षालाये नाद'संप्रदेवताने घोर उपसर्ग किला कहतेहो मो३) सूत्रके मूलपाठमें कहा है पर श्रीमहावीर स्वानाके कानने गोवालीयेने खीले के ऐसा कहते ही सो, ३२) सूत्रके मूल पाठ कहाधि रद Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy