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________________ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा परिशिष्ठ- २ ८ बैंवेही मे श्रीरुषदेव स्वामी जी की माता मरुदेवीजी हाथी हो पर माह गये. श्री कहते हो सो (३२) सूत्र के मूह में कहाँ है? श्रीरुष-नदेव स्वामी की पुत्री ब्राह्मी सो (३२) सूत्र के मूल पाठ में कहाँ है ?" श्रीरुषनदेव स्वामी के पुत्रन्तरता जी को जीव ने पूर्व नवमे (१००) मुनियों को चाहारला कर दिया कहते हो सो (२) सूत्र के मूलपाठ में कहाँ है ?११ श्री रूपनदेव स्वामी कापुत्र बाऊबलजी का जाना पूर्वभव में (५०४) "मुनियों की वैय्याक्च करी कहते हो स) (३५) सूत्र के मूल कड में कहा है? जीमोर १२ -जीरुषस्तदे व स्वामी के पुत्र भरत व ऊचलजी युद्ध ऊना' कहते हो सो (३२) सूत्र के मूलफ5 में, कहाँ है ? - श्री का बा अब ल जी च स्वामी के पुत्र (९) वर्षतक का उस्सग्गमें बी रहे। ऐसा २ .१०. २४५ कुमारी रही' यह कहते ह श्रीरु, कहते हो स), (३२) सूत्रके मूलपाठ में कहा है श्छ काउ रसगगमें रखतेइये बाऊबल को ब्राह्मी सुंद्री नेटवीरा मेरो 1124 'गज थकी उतरौ?” कहा' एसा कहते हो सो(३२) सूत्र के मूल पाठ में कहा है श्रीभरत चक्रवती के रसोडे में दश लाखमो ऐसा कहते हो तो (५२) सूत्र के मूल पाठ मे कहो है? नित्यलगताथा. Jain Education International १६. श्रीनरतेजी की आरी साजवन में अंगठी गिरी- ऐसा कहते हो सो बत्तीस सूत्र के मूलवाहमें कहो 'केवल ज्ञान होने के बाद १७ श्रीजश्राजी के देवताने साधुका भेषदिया' कहते हो सौ (३२) सूत्र के मूलपाठ में कहा है? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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