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________________ २४४ परिशिष्ठ-२ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा (४५) प. पू. आत्मारामजी महाराज का हस्तलिखित पत्र सन्मार्ग संस्थापक आ. विजयानंदसूरिजी महाराजा (स्थानकवासी नाम आत्मारामजी म.) द्वारा स्वहस्ताक्षरो में लीखित सूत्रों के मूलपाठ में न होते हुए भी स्थानकवासी मान्य अनेक बातें। RExaminaeemerole umpihroom- NREMEMA70*22: 11:Mitr पारस्तगवतक९२) गुल करत ma - - . .. . RANAEL दिन andinew :. . जनस्व स्वामी के जीवन यापला सामना के जवान मुनियों को। चालक दान दिया कहलव ) सूके मूलपाईने कहा ? किल्लवस्त्वानोकोजावनापूर्वजनमे नेलीको आहरका अतराय १. सहायान्सवात ताबकरके न्यायवधतक नखे रहें कहते सो लोकमलदेवस्वामान बंधादनका तय करके कारले १०८)के तुरसेके पीये करते से २)सन के मूलयामें कहर ... या अपनदेनस्वामीकारसमें पारणा कराने वाली नकस हमारका पूर्वजकका सबध कस्तो माँ बर) स्त्र के भूलपाठमें करू? मालापनदवास्वामीकादिक्षावाद मरुदेवी माताको रोते रोते आरयो ने पडल लागये!' कहतक से सत्रके पूलपाने को है न निरुदेवा नाताने (६३००) वाहायोदेखी करते सौ) साय.' Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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