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परिशिष्ठ-२ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा
(४५) प. पू. आत्मारामजी महाराज का
हस्तलिखित पत्र
सन्मार्ग संस्थापक आ. विजयानंदसूरिजी महाराजा (स्थानकवासी नाम आत्मारामजी म.) द्वारा स्वहस्ताक्षरो में लीखित सूत्रों के मूलपाठ में न होते हुए भी स्थानकवासी मान्य अनेक बातें।
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लोकमलदेवस्वामान बंधादनका तय करके कारले १०८)के तुरसेके
पीये करते से २)सन के मूलयामें कहर ... या अपनदेनस्वामीकारसमें पारणा कराने वाली नकस
हमारका पूर्वजकका सबध कस्तो माँ बर) स्त्र के भूलपाठमें करू? मालापनदवास्वामीकादिक्षावाद मरुदेवी माताको रोते रोते आरयो
ने पडल लागये!' कहतक से सत्रके पूलपाने को है न निरुदेवा नाताने (६३००) वाहायोदेखी करते सौ)
साय.'
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