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... जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा सेवक देवो) भक्त उपर प्रसन्न थाय छे. माटे भगवाननी मूर्तिनी पूजा ए पथ्थरनी पूजा नथी, किंतु भगवाननी पूजा छे. मूर्तिनी अभिषेक आदिथी भक्ति करतां, वंदन-नमस्कार करतां, स्तुति आदि करतां भक्तना मनमां तो एमज होय छे के हुं भगवाननी भक्ति, वंदन-नमस्कार के स्तुति करुं छु. एटले मूर्तिनी भक्ति, वंदन-नमस्कार के स्तुतिथी भगवाननी ज भक्ति, वंदन के स्तुति थाय छे.
पथ्थरनी मूर्तिमां मंत्रोच्चार आदि शास्त्रोक्त विधि कर्या बाद ए मूर्ति भगवान बनी जाय छे. आ विषयने आपणे एक व्यावहारिक दृष्टांतथी समजीए. युवति लग्न पहेलां कन्या कहेवाय छे. लग्नविधि थया पछी ए युवति वधु बनी जाय छे. लग्न पहेलां जे युवति कन्या कहेवाती हती अने बधा जेने कन्या रुपे ज जोता हता ते ज युवति लग्निविधि बाद कोईनी वधू बनी जाय छे अने बधा तेने वध रुपे जुए छे. तेम अहीं पथ्थरनी मूर्ति पण मंत्रोच्चार आदिथी अधिवासना थतां भगवान बनी जवाथी पूजनीय बनी जाय छे. कागळना टुकडा उपर रुपियानी छाप लाग्या पछी ते कागळनो टुकडो रहेतो नथी. तेने कोई बाळकना हाथमां न आपे. कारण के बाळक तेने कागळ समजे. तेम अज्ञान लोको मूर्तिने पथ्थरनो टुकडो समजे. कापडनो टुकडो कहेवातुं वस्त्र देशनो त्रिरंगी झंडो बने छे त्यारे कापडनो टुकडो मटीने जनवंदनीय ध्वज बनी जाय छे. रजपूत तलवारने लोढानो टुकडो न माने. कारण के तेनी किंमत समजे छे. एने मन अमूल्य वस्तु छे. ते बधुं जतुं करशे, पण तलवार नहि जवा दे. कारण के रक्षण करनार छे. तेम अज्ञान लोको मूर्तिने पथ्थरनो टुकडो माने. पण समजु लोको पथ्थरनो टुकडो न माने, किंतु देव माने.
भगवाननी पूजा एटले एमना गुणी आत्मानी पुजा
भगवान गुणोना समूह रुप छे. एटले भगवाननी पूजा एटले एमना शरीरनी नहि, किंतु एमना गुणी आत्मानी पूजा. ज्यारे भगवान साक्षात् विद्यमान होय त्यारे पण एमना गुणीआत्मानी पूजा थाय छे. पण एमनो आत्मा देखातो नथी एटले बाह्य शरीरना माध्यम द्वारा एमना आत्मानी पूजा थाय छे. तेवी रीते शरीर सहित भगवान विद्यमान न होय त्यारे तेमनी मूर्तिना
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