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________________ २१६ - जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा वगाडे छे, पुष्प, घी आदिथी होम करे छे. सूर्यने पण पूजे छे. मूर्ति पण उपकारक प्रश्न : मूर्ति जड छे. आथी जेम माटीनी गायने दोहवाथी दूध न मळे तेम जड मूतिनी पूजाथी चेतनने कशो लाभ न थाय. उत्तर : माटीनी गायने दोहवाथी दूध भले न मळे, पण तेने जोवाथी साची गायनी ओळख थाय छे. कोई जंगलीने गाय केवी होय तेनी खबर न होय तो माटीना आकारनी गाय बनावीने साची गायनी ओळख करावी शकाय छे. तेम जिनमूर्तिथी भाव अरिहंतनी ओळखाण थाय छे. आथी मूर्तिनां दर्शन-करवां जोईए. प्रश्न : मूर्तिनां दर्शनथी भाव अरिहंतनी ओळखाण थाय छे. आथी तेनां दर्शन करवां जोईए. पण तेनी पूजा शा माटे ? उत्तर : मूर्ति भावअरिहंतनी ओळखाण करावे छे, माटे उपकारक छे. मानी लो के तेमने महेनत करवा छतां नोकरी मळती नथी. एवामां कोई तमने जेने नोकरनी जरुर होय एवा शेठनी ओळखाण करावी आपे अने नोकरी मळी जाय तो शेठनी ओळखाण करावी आपनार उपकारी खरो के नहि ? खरो. बस तेम जिनप्रतिमा भाव जिननी ओळखाण करावी आपे छे माटे उपकारक छे. आथी तेनी पूजा पण करवी जोईए. आम अनेक रीते भगवाननी मूर्तिपूजाथी लाभ ज छे. भगवाननी मूर्तिनी पूजा भगवाननी ज पूजा छे. परमार्थथी तो मूर्तिनी पूजा ए भगवाननी ज पूजा छे. आ विषयने अकबर-बिरबलना एक प्रसंगथी विचारीए. एकवार अकबर बादशाहे राजदरबारमां मोटी सभा भरी. ए सभामां जुदा जुदा देशना एकबीजाथी चढियाता पंडितो हता, कुशळ मंत्रीओ हता, सामंत राजाओ हता. मोटा मोटा शेठियाओ हता. राजाना सिंहासन पासे बिरबल बेठा हतां. आ वखते धर्मनी चर्चा नीकळतां अकबर बिरबलने पूछ्य : केम Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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