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जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा
| (४२) मूर्तिपूजानुं महत्त्व |
प्रश्न : साक्षात् भगवान तो मोक्षमा छे. भगवाननी मूर्ति तो पथ्थर रुप छे. आथी भगवाननी मूर्तिनी पूजाथी शो लाभ ?
उत्तर : आना समाधान माटे पहेला आपणे ए विचार जोईए के साक्षात् भगवाननी पूजा शा माटे करवानी छ ? साक्षात् भगवाननी पूजा शा माटे करवानी छे ए समजाई जाय तो भगवाननी मूर्तिनी पूजाथी शुं लाभ ए प्रश्न ज न रहे.
(१) भगवाननी पूजामां एक हेतु छे के भगवान उपकारी होवाथी तेमना प्रत्ये कृतज्ञता प्रदर्शित करवी जोईए अने बहुमानभाव व्यक्त करवो जोईए. तो जेम साक्षात् भगवाननी पूजाथी कृतज्ञता प्रदर्शित थाय छे अने बहुमान व्यक्त थाय छे, तेम भगवाननी मूर्तिनी पण पूजाथी कृतज्ञता प्रदर्शित थाय छे अने बहुमान व्यक्त थाय छे. जेम माणसना पेटमां खोराक जाय अने पाचन थईने तेनुं लोही थाय ए माटे मुख द्वारा पेटमा खोराक नाखे छे. पण केन्सरनां दर्दीनुं गळं बंध थाय छे तो पेटमां काणुं पाडीने ए काणा द्वारा पेटमा खोराक नाखीने पण ए कार्य सिद्ध कराय छे. जेने विटामिनवाळो खोराक मळतो नथी, ते विटामिननी टीकडीओ वापरीने पण विटामिनोनी पूरती करीने शक्ति मेळवी शके छे. तेवी रीते साक्षात् भगवान न होय त्यारे भगवाननी मूर्तिनी पूजाथी पण कृतज्ञता प्रदर्शित करी शकाय छे, अने बहुमान भाव व्यक्त करी शकाय
आथी ज देशनेता वगेरेना फोटाओ उपर लोको फुलमाळा वगेरे पहेरावे छे. स्वर्गस्थ माता-पिता वगेरेनी मृत्युतिथिए माता-पिता वगेरेना फोटाओ उपर फूलमाळा पहेरावीने धूप वगेरे करे छे. छापामां फोटो छापीने श्रद्धांजलि आपे छे. वडाप्रधान राजीवगांधी तेमनी माताना मृत्युना दिवसे तेमनी समाधिना स्थाने फूलो मूकतां हतां.
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