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________________ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा २१३ द्रोणाचार्य एकलव्यने धनुर्विद्या शिखवाडवानी ना पाडी तो एकलव्य द्रोणाचार्यनी मूर्ति बनावीने तेनी पूजा द्वारा गुरुउपर बहुमान व्यक्त करीने धनुर्विद्या शीखी गया. जे कार्य साक्षात् गुरुथी थाय ते ज कार्य तेणे गुरुनी मूर्तिथी सिद्ध करी लीधुं. (२) भगवाननी पूजानो बीजो हेतु ए छे के भगवाननी ओळखाण थाय. जेम कोईना छोकरो गुम थाय तो छापामां तेनो फोटो आपे छे. पोलीसोने खबर आपीने पोलीसोने पण फोटाओ आपे छे. कारण के आनाथी बीजाओ तेने ओळखी शके. तेवी रीते सरकारनो गुनो करीने नाशता-भागताओने पकडवा सरकार छापाओमां तेमना फोटा आपीने लोकोने ए माणसो देखाय तो खबर आपवायूँ कहे छे. एटले जेम फोटाओ असल वस्तुने ओळखवानु साधन छे. तेम मूर्ति पण भगवानने ओळखवा--जाणवानुं साधन छे. भगवाननी मूर्ति द्वारा भगवाननी ओळखाण थाय छे. ___ (३) भगवाननी मूर्तिथी भगवान बनवानी प्रेरणा मळे छे. जेमने भगवानना स्वरुपर्नु सामान्य पण साचुं ज्ञान छे तेमने श्री जिनमूर्तिना दर्शनथी भगवान याद आव्या विना रहेता नथी. आथी मूर्ति भगवानने याद करवानुं एक आलंबन छे. भगवान याद आवे एटले एमना गुणो याद आवे. भगवाननी मूर्ति जोईने "सवि जीव करुं शासन रसी' ए भावना, विषयसुखो प्रत्ये अनासक्तभाव, उपसर्गोमां धीरता, वीतरागता, केवलज्ञान, धर्मतीर्थनी स्थापना, दररोज बे पहोर सुधी धर्मदेशना वगेरे गुणो याद आवे. मूर्तिने जोईने भगवानना गुणो याद आवतां मारे पण तेवा बनवू जोईए एम योग्य जीवोने विचार आवे. पछी तेवा केवी रीते बनीं शकाय ते जाणीने तेवा बनवा माटे शक्य प्रयत्न करे. ए प्रयत्नथी समय जतां ते पण खरेखर भगवान बनी जाय. जेम अहीं सेंडोने पहेलवान पूतळाना दर्शनथी पहेलवान बनवानो विचार आव्यो अने प्रयत्न करीने ते पहेलवान बन्यो; तेम लघुकर्मी योग्य जीवोने भगवाननी मूर्तिनां दर्शनथी भगवान जेवा बनवानुं मन थाय छे. पछी भगवान जेवा केवी रीते बनी शकाय ते जाणीने अने शक्य प्रयत्न करीने भगवान जेवा बनी जाय छे. आथी आध्यात्मिक साधना माटे मूर्ति अनिवार्य छे. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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