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________________ १०१ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा १३. चमरेद्र और मूर्तिपूजा का शरण → समीक्षा इसमें डोशीजी ने उत्सूत्र प्ररूपणा की हद कर दी है। मध्यस्थ व्यक्ति ज्ञानसुंदरजी और डोशीजी दोनों का मिलान करके पढ़े तो उसे स्पष्टतया पता चलेगा की डोशीजी ने सूत्रों को तोड़-मरोड़कर गलत अर्थ किये हैं, डोशीजीने इसमें (पृ. ९३ पर) अनेक करतूते की हैं सूत्र में पहले दिए पाठ को बाद में देते है, बाद के पाठ को पहले बताते है । पहले दिए पाठ के आधार पर आगे का संबंध जोड़ा जाता है। बाद के सूत्र के आधार पर प्रथम के सूत्र के अर्थ को बदलने की चेष्टा डोशीजी कर रहे है। और कोई भी प्रमाण बिना गणधर प्रणीत सूत्रों पर प्रक्षेप होने के आक्षेप लगाते है । ज्ञानसुंदरजी के अर्थ युक्तियुक्त है। देखिए पृ. ९३ पर - "तं महादुक्खं खलु तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं अणगाराणय अच्चासायणाए ।" यह सत्र का एक अंश लिया जिसको पूर्व से संबंधित सूत्र, से तोडकर उसका अर्थ कर रहे है और पूर्व के पाठ को तोडकर अलग रीति से पेश करते है । जब की - णण्णत्थ अरिहंते वा, अरिहंत चेइयाणि, वा अणगारे वा भाविअप्पणो णीसाए, उड्ढे उप्पयइ, जाव सोहम्मो कप्पो, तं महादुक्खं खलु तहारुवाणं अरहंताणं भगवंताणं, अणगाराण य अच्चासायणाए.....। यह पूर्ण पाठ पूर्व सूत्रांश से संबंधित है । इसमें तं महादुक्खं... की संस्कृत छाया तत् (=तस्मात्) महादुक्खं' इस प्रकार होगी, तत् शब्द कारण अर्थ में है उसका अर्थ 'उस कारण से' होला है। इसमें पूर्व में अरिहंत-अरिहंत चैत्य (मूर्ति) - भावित अणगार तीन की निश्रा से ऊपर स्वर्ग में जाना शक्य बताया है, निगमन में अरिहंत-अणगार दो ही बताएँ इसका समाधान सन्मति से तो यह ही शक्य है, अरिहंत और अरिहंत चैत्य (प्रतिमा) को एक सा मानकर यह निगमन किया है इसमें और आगम भी प्रमाण हैं । रायपसेणी सूत्र में जिनप्रतिमा को जिनेश्वर देव के समान गिनकर 'धूवं दाऊणं जिणवराणं' पाठ दिया है । वहाँ पर बात जिनप्रतिमा पूजन की चल रही है । इससे स्पष्ट होता है कि निगमन वाक्य में अरिहंत-अरिहंत प्रतिमा दोनों को एक से माने हैं । तभी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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