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सवाया-अच्छा कर दिखाते हैं । उनकी चकोर अनुभव दृष्टि और पकड़ इतनी विशाल एवं सूक्ष्म होती है कि - अनेक घपलों को केवल अपनी नजर से ही पकड़ लेते हैं । शिल्पी एवं सोमपुरा भी उनके आगे अपनो चाल खेल नहीं सकते ।
जिनाज्ञा एवं जयणा का पालन होता हो तो लाखों या करोड़ों का व्यय भी ज्ञानी की दृष्टि में निरर्थक-व्यय' नहीं है और जिनाज्ञा-जयणा का पालन न हुआ तो दुनिया की दृष्टि से 'सहो-योग्य' व्यय भी ज्ञानी की दृष्टि से 'निरर्थक-व्यय' ही है ।
अयोग्य दिखावा करना उचित नहीं है एवं योग्य दिखावा तो करना ही चाहिए । क्योंकि - "आडंबर-योग्य दिखावे के साथ धर्मकार्य करना चाहिए" - यूं ज्ञानियों का वचन है । यहाँ आडंबर शब्द आजकल 'निरर्थक-व्यय' अर्थ में इस्तेमाल होता है, वह अर्थ यहाँ प्रस्तुत नहीं है । परंतु ठाट-बाट से, धर्म का बहुमान बढ़े ऐसे तौर-तरीके के रूप में प्रस्तुत है । अन्य जातियाँ जैन संघ की उदारता पर निभे, यह तो जैनों को शोभारूप है । जैन समाज-संघ महाजन के नाते सदा ही बड़े भाई के स्थान पर रहते आया है । ऐसे प्रसंगों में जरूरी उदारता रखने से अन्य जातियाँ संतुष्ट रहे, यह कुल मिलाकर अच्छा ही है । अतःएव ऐसे अवसर पर अनुकंपा दानादि की भी विधि है, जिसे शास्त्रकारों ने धर्मप्रभावक दान कहा है ।
शंका-२६ : स्नात्र पूजा में त्रिगढे (मेरु/समवसरण आकार का सिंहासन) के नीचे जो श्रीफल रखा जाता है, वह प्रतिदिन नया रखना जरूरी है या एक ही चल सकता है ? उसका मूल्य भंडार में डालें तो चल सकता है? अगर चांदी का श्रीफल हमेशा के लिए रख दें तो चल सकता है ? ऐसे करने पर नकरा भरना आवश्यक है ?
समाधान-२६ : स्नात्र पूजा में त्रिगढे के नीचे प्रतिदिन नया ही श्रीफल स्थापित करना जरूरी है । पुराना (एकबार चढ़ाया हुआ) श्रीफल दुबारा काम नहीं आता । क्योंकि एकबार चढ़ा देने से वह प्रभु-निर्माल्य गिना जाता है । उसे बेचकर आया मूल्य देवद्रव्य में जमा करना चाहिए । चांदी का श्रीफल बनाकर प्रभु के हाथ में रख सकते हैं, पर त्रिगढे के नीचे प्रतिदिन नूतन श्रीफल चढ़ाने के स्थान पर नहीं चढ़ा सकते । कोई देश-विशेष या संयोग-विशेष में ताजा श्रीफल न ही मिलने के कारण किसी ने चांदी का श्रीफल रखा हो तो उसे दृष्टांत बनाकर सर्वत्र वैसा नहीं कर सकते । अतः सदा ही ताजा श्रीफल प्राप्त कर चढ़ाने का ध्यान रखें । ऐसी स्थिति में चांदी का श्रीफल चढ़ाने पर सुयोग्य नकरा देवद्रव्य में भरना चाहिए । | धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ?
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