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________________ परिशिष्ट-४ आरती-मंगल दीपक की थाली में रखे गए द्रव्य के विषय में पेढ़ी के दो पत्र आरती-मंगल दीपक की थाली में रखी गई रकम देवद्रव्य खाते में जाती है, उसके विषय में शत्रुजय तीर्थाधिराज आदि अनेक तीर्थों को संचालन-व्यवस्था को देखनेवाली सेठ आणंदजी कल्याणजी पेढ़ी तथा श्री शंखेश्वरजी तीर्थ के संचालन के कार्य को देखनेवाली श्री जीवणदास गोडीदास पेढ़ी (शंखेश्वर) के पत्र निम्नानुसार हैं । सेठ आणंदजी कल्याणजी पेढ़ी की ओर से प्राप्त पत्र की अक्षरश: प्रतिलिपि निम्नानुसार है । सेठ आणंदजी कल्याणजी, अखिल भारतीय जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के प्रतिनिधि, झवेरीवाड, अहमदावाद-१ "पत्र जा. सं. ७९३, अहमदाबाद श्री महेन्द्रभाई साकरचंद शाह बंगला नं. १/१, केवडिया कॉलोनी, भरुच-३९३१५१ वि. आपका दि. ८-४-९५ का पत्र प्राप्त हुआ है । उसके विषय में लिखना है कि आरती/मंगलदीपक का द्रव्य भंडार फंड में ही माना जाना चाहिए । पुजारियों को उस पर किसी प्रकार का अधिकार सेठ आणंदजी कल्याणजी पेढ़ी के संचालन की शाखा पेढ़ियों में नहीं दिया गया है यह विदित हो । __- लि. जनरल मेनेजर" उपरोक्त पत्र से फलित होता है कि सेठ श्री आणंदजी कल्याणजी की पेढ़ी, अहमदाबाद के हस्तक संपूर्ण भारत के जितने भी तीर्थ तथा जिनमंदिरों का प्रबंध है, उनमें आरती/मंगल दीपक का द्रव्य पुजारियों को न देकर भंडार (देवद्रव्य के) खाते में जमा कर लिया जाता है । उसी प्रकार भारत में शंखेश्वरजी तीर्थ महाप्रसिद्ध तीर्थ है । इस तीर्थ की यात्रा करने हेतु भारतभर से प्रतिवर्ष लाखों यात्री आते हैं । इस तीर्थ में भी आरती, मंगल दीपक के पैसे पुजारियों को न देकर भंडार (देवद्रव्य के) खाते में जमा कर लिया जाता है । धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004076
Book TitleDharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhwaj Parivar
PublisherDharmdhwaj Parivar
Publication Year2012
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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