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________________ १४ - मंगल दीया करने की १५ - प्रभुजी को चढ़ाए गए अक्षत, फल- नैवेद्य, श्रीफल एवं बादाम आदि सभी चीजों को योग्य कीमत पर अजैनों को बेचकर आई राशि १६ - जिनमंदिर में प्रभुजी के सन्मुख स्थापित भंडार की आय १७ - भंडार में सबसे प्रथम बार द्रव्य पधराने की १८ - पूजा के समय थाली में फल - नैवेद्यादि ले खड़े रहने की १९ - जिनभक्ति निमित्त शास्त्रविहित हरएक अनुष्ठान के विभिन्न लाभों की २१ - स्नात्र में बत्तीस कोडी उछाली जाती है वह २२ - शांतिस्नात्र के समय कुंभ में तथा स्नात्रजल की - कुंडी में जो द्रव्य पधराया जाता है वह देवद्रव्य २० - स्नात्रपूजा के समय प्रभु के नीचे जो सोना-चांदी के सिक्के एवं द्रव्य रखा जाता है वह २३ - जिनमंदिर में महापूजा का आयोजन हो तब महापूजा का उद्घाटन करने की २४ - आरती, मंगलदीये की थाली में रखा जाता द्रव्य २६ - वर्षगांठ-सालगिरह के दिन शिखर पर कलश - बोली १ - नूतन उपाश्रय आदि के भूमिपूजन-र संबंधी लाभ लेने की की अष्टप्रकारी पूजा आदि के एवं नूतन ध्वजा चढ़ाने की ' ३५ - अलग-अलग बोलियों की विगत २ - उपाश्रय का उद्घाटन करने की ३ - उपाश्रय में कुंकुम के हस्तचिह्न (थापा) लगाने की - | धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ? - खनन एवं शिलास्थापन Jain Education International देवद्रव्य For Personal & Private Use Only देवद्रव्य देवद्रव्य देवद्रव्य देवद्रव्य देवद्रव्य देवद्रव्य देवद्रव्य देवद्रव्य देवद्रव्य देवद्रव्य किस खाते में ? उपाश्रय उपाश्रय उपाश्रय ३३ www.jainelibrary.org
SR No.004076
Book TitleDharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhwaj Parivar
PublisherDharmdhwaj Parivar
Publication Year2012
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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