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________________ कानात बोली देवद्रव्य देवद्रव्य ५ - रथ का नकरा देवद्रव्य में जमा करना चाहिए। ६ - कोई भी व्यक्ति अपने निजी धार्मिक प्रसंग हेतु घर पर मंदिरजी की कोई भी चीज ले जाए तो उसका सुयोग्य नकरा देवद्रव्य में दे देना चाहिए । ७ - यदि उपाश्रय की कोई चीजें अपने निजी धार्मिक प्रसंग हेतु घर पर ले गए हों तो उसका नकरा साधारण खाते में देना चाहिए। ३४ - मंदिरजी या मंदिरजी से अन्यत्र किसी भी स्थान में परमात्मा के निमित्त जो मी बोलियाँ बुलवाईं जाएँ वे सभी ‘देवद्रव्य' ही गिनी जाती है। किस खाते में ? १ - . तीर्थमाला-इन्द्रमाला पहनने की २ - उपधान माला (बोली या नकरा) पहनने की एवं उपधान की नाण का नकरा ३ - जिनमंदिर भूमिपूजन-खनन करने की , देवद्रव्य ४ - जिनमंदिर शिलास्थापना करने की देवद्रव्य ५ - जिनमंदिर उंबरा स्थापना करने की देवद्रव्य ६- जिनमंदिर बारसाख (द्वारशाखा) स्थापना करने की देवद्रव्य ७ - प्रभुजी का नगर प्रवेश, जिनालय प्रवेश या गर्भगृह प्रवेश करवाने की देवद्रव्य ८ - प्रभुजी को पोखने की देवद्रव्य ९ - प्रभुजी को शुकुन देने की १० - प्रभुजी के प्रवेश एवं प्रतिष्ठादि समय पूज्य गुरु भगवंत का नवांगी गुरुपूजन करने की देवद्रव्य ११ - प्रभुजी की अष्टप्रकारी आदि पूजा करने की देवद्रव्य १२ - प्रभुजी की मुकुट आभूषण पूजा करने को १३ - आरती उतारने की देवद्रव्य देवद्रव्य देवद्रव्य |३२ धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004076
Book TitleDharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhwaj Parivar
PublisherDharmdhwaj Parivar
Publication Year2012
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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