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________________ ९ ३३ - रथयात्रा : प्रभुजी के वरघोड़े (शोभायात्रा) संबंधी बोलियाँ बोली किस खाते में १- प्रभुजी को रथ में बिराजित करने को देवद्रव्य २- प्रभुजी को लेकर रथ में बैठने की देवद्रव्य ३ - प्रभुजी के रथ के सारथी बनने की देवद्रव्य ४ - रथ में दायीं ओर चमर ढोलने की देवद्रव्य ५ - रथ में बायीं ओर चमर ढोलने की देवद्रव्य ६. रथ के पीछे रामणदीया लेकर चलने की देवद्रव्य ७ - प्रभुजी के चार पोखणा करने की देवद्रव्य इन्द्रध्वजा की गाड़ी में बैठने की देवद्रव्य हाथी, घोड़ा, वाहन, बग्गी आदि में सवार होने की देवद्रव्य १० - चौदह स्वप्नों को ले चलने की या वाहन में बैठने की देवद्रव्य ११ - रथ के आगे दूध की धारा करने की (धारावनी) देवद्रव्य १२ - रथ के आगे बाकला उछालने की देवद्रव्य १३ - धूप, दीप, चमर आदि ले चलने की देवद्रव्य १४ - रथ के आगे थाली डंका बजाने की देवद्रव्य सूचनाएँ: १- प्रभुजी के निमित्त जो भी बोली बुलवाई जाए, वह देवद्रव्य खाते में ही जाएगी । २ - वरघोड़े की बोलियों की आय में से वरघोड़े का कोई भी खर्चा नहीं किया जा सकता। ३ - वरघोड़े का खर्च कोई व्यक्ति स्वद्रव्य से लाभ ले उसमें से या फिर जनरल खर्च हेतु जो चंदा इकट्ठा किया हो उसमें से कर सकते हैं । ४ - प्रभुजी का रथ श्रावक अपने निजी द्रव्य से बनाए । यदि रथ देवद्रव्य से बनाया हो तो उस पर 'यह रथ देवद्रव्य की आय में से बनाया गया है ।' ऐसा लेख स्पष्ट लिखना चाहिए । धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ? ३१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004076
Book TitleDharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhwaj Parivar
PublisherDharmdhwaj Parivar
Publication Year2012
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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