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विशेष नोंध : • गुरुपूजन एवं चारित्रोपकरण आदि गुरु संबंधी आय जिनमंदिर जीर्णोद्धार - नवनिर्माण में जाती है । व्यवस्थापकों की सुविधा हेतु देवद्रव्य लिखा है । विवेकपूर्वक इस्तेमाल करें ।
गुरुपूजन- कंबल बहोराना आदि उपरोक्त सभी प्रकार का गुरुद्रव्य 'साधुसाध्वी वैयावच्च' के किसी भी कार्य में काम नहीं आता ।
२८- गुरुमंदिर- गुरुमूर्ति आदि संबंधी बोलियाँ
१ - गुरुमंदिर भूमिपूजन - खनन एवं शिलास्थापन की
२ - गुरुमूर्ति - पादुकादि भरवाने (निर्माण करने) की
३ - गुरुमूर्ति - पादुकादि के पाँच-अभिषेक की
४- गुरुमूर्ति पादुकादि की प्रतिष्ठा की
५ - गुरुमूर्ति - पादुकादि के पूजन की
६ - गुरुमंदिर पर कलश - ध्वजादि की स्थापना करने की
७ - गुरु भगवंत की तस्वीर को उपाश्रय या अन्यत्र पधराने की,
८- गुरु भगवंत की तस्वीर का पूजन करने की
९- गुरुमूर्ति / पादुका समक्ष रखे भंडार - पेटी - गोलख की आय
उपरोक्त सभी बोलियाँ एवं भंडार की आय गुरुमूर्ति / पादुकादि के निर्माणमरम्मत में, गुरुमंदिर के जीर्णोद्धार - नवनिर्माण में एवं जिनमंदिर के जीर्णोद्धारनवनिर्माण में इस्तेमाल की जा सकती है ।
२९- पू. साधु-साध्वीजी भगवंत कालधर्म को पाते हैं (स्वर्गवासी बनते हैं) तब बोली जाती बोलियाँ
१ - स्वर्गस्थ पूज्य २ - स्वर्गस्थ पूज्य के शरीर का वासक्षेपादि से पूजन करने की
३ - स्वर्गस्थ पूज्य के शरीर को पालखी आदि में पधराने की
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उद्घाटन की
शरीर को विलेपन - बरास - चंदनादि पूजा करने की
धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ?
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