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________________ १ - वासक्षेप २ - मोरपीछी-पूंजणी-खसकूची ३ - प्रक्षाल हेतु दूध ४ - बरास ५ - केसर ६ - चंदन ७ - पुष्प ८ - धूप ९ - दीपक (घी) १० - अंगलूछना-पाटलूछना ११ - इत्र-चंदन का तेल १२ - वर्ख आदि सामग्री की बोलियाँ उपयोग : m x 5 wou o a बोलियों की आय इन पूजा द्रव्यों को खरीदने हेतु परस्पर इस्तेमाल कर सकते * मंदिरजी में रात्रि में रोशनी करने हेतु घी-नारीयल तेल के दीपक रखे जाएँ तो उसका खर्चा भी जरूरत होने पर इस द्रव्य से कर सकते हैं । * इस राशि का उपयोग जिनभक्ति के कार्य के अलावा अन्य किसी भी कार्य में नहीं हो सकता । नोंध : श्रावक को चाहिए कि प्रभुपूजा निजी द्रव्य से ही करें, यही विधि है । अत: इस प्रकार की बोलियों द्वारा की गई सुविधा-सामग्री का लाभ लेने वाले को, स्वयं जितनी सामग्री इस्तेमाल की हो उतना द्रव्य उस खाते में (केशर-चंदन खाते में) अर्पण करने का विवेक रखना जरूरी | धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004076
Book TitleDharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhwaj Parivar
PublisherDharmdhwaj Parivar
Publication Year2012
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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