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________________ * श्रीसंघ के मुनिमजी या मेहताजी बनने की बोली का द्रव्य आदि शास्त्र अबाधित तौर-तरीकों से प्राप्त होनेवाला द्रव्य साधारण खाते का द्रव्य कहा जाता है । उपयोग : * जिनमंदिर, उपाश्रय या संघ/तीर्थ की पेढ़ी (कार्यालय) संबंधी सभी कार्यों में इस्तेमाल कर सकते हैं। * सातक्षेत्रों में जहाँ-जहाँ जरूरत हो, वहाँ आवश्यकता अनुसार खर्च कर सकते * इस द्रव्य का उपयोग ट्रस्टी (न्यासी), व्यवस्थापक या अन्य कोई भी व्यक्ति __निजी (Personal) कार्य में नहीं कर सकते । * धर्म में स्थिर करने के हेतु से आपत्ति में आ गिरे श्रावक-श्राविका का उद्धार करने हेतु संघ यह द्रव्य दे सकता है । साधारण खाते का यह द्रव्य धार्मिक (Religious) पवित्र द्रव्य है । इसे सामान्य जनोपयोगी, व्यावहारिक, सांसारिक या जैनेतर धार्मिक कार्य में नहीं दे सकते । इस खाते का द्रव्य धर्मादा (चैरिटी) उपयोग में, व्यावहारिक (स्कूली-कॉलेजी) शिक्षा में तथा अन्य किसी भी सांसारिक कार्य में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अंजनशलाका-प्रतिष्ठा-जिनभक्ति महोत्सव के मौके पर नवकारसी (साधर्मिक वात्सल्य) आदि की बोलियों एवं नकरों का उपयोग : ___ सार्मिक वात्सल्य में एवं उसमें बढ़ोतरी हो तो सार्मिक भक्ति के सभी कार्यों में तथा जिनभक्ति महोत्सव संबंधी सभी कार्यों में हो सकता है । इस द्रव्य का उपयोग विहारादि स्थानों में रसवतीयों की जो व्यवस्था होती है, उसमें भी किया जा सकता है । विशेष नोंध : झांपाचुंदड़ी या फलेचुंदड़ी के चढ़ावे की आय सर्वसाधारण खाते में जा सकती है । इसमें से सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं । कुंकुमपत्री (पत्रिका) में लिखित/सादर प्रणाम/जय जिनेन्द्र के रूप में नाम लिखने की बोली-नकरे का द्रव्य या महोत्सव का लाभ लेने के शुभेच्छक, | १२ धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004076
Book TitleDharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhwaj Parivar
PublisherDharmdhwaj Parivar
Publication Year2012
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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