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कचरा निकालना आदि कार्य करने वाले आदमियों के वेतन आदि किसी भी
कार्य में जिनमंदिर साधारण द्रव्य का उपयोग निषिद्ध है । ध्यान में रखने जैसी बात :
निम्न लिखित बातों का खर्चा जिनमंदिर साधारण में से नहीं हो सकता । उसे साधारण खाते में से ही करना चाहिए ।
* संघ की पेढ़ी का वहीवटी (संचालन) खर्चा * स्टेशनरी, पोस्टेज, टेलिफोन, पानी आदि का खर्चा * मंदिर के बाहर दर्शनार्थी हेतु पेयजल की व्यवस्था का खर्चा * पाँव लूछने के टुकड़े, कारपेट आदि का खर्चा * सूचनार्थ ब्लेकबोर्ड, चॉक, कपड़े के बैनर एवं बोर्डों का खर्चा * सालगिरह (वर्षगांठ) के दिन ध्वजा चढ़ाने, पालख बांधने का खर्चा * धार्मिक कार्यों हेतु मंडप आदि बांधने का खर्चा * स्नात्र पूजा एवं बड़ी पूजा की किताबों-सापडों (किताब कुर्सी) का खर्चा
१०- साधारण द्रव्य श्रीसंघ की पेढ़ी (कार्यालय) में या तीर्थ की पेढ़ी में साधारण खाते में उदारदिल श्रावकों द्वारा जो कुछ दान प्राप्त होता है, वह एवं साधारण खाता हेतु कायमी तिथियों का द्रव्य इस खाते में जमा होता है ।
बोलियाँ बोलने से भी साधारण द्रव्य की आय होती है । उदाहरण - * संघपति, दानवीर, तपस्वी श्रावक, ब्रह्मचारी, दीक्षार्थी मुमुक्षु भाई-बहिनों को तिलक-हार-श्रीफल-शाल-चूंदडी-सम्मानपत्र आदि अर्पण करने की बोली का
द्रव्य * दीक्षाविधि पूर्व दीक्षार्थी को अंतिम बिदाई तिलक या अंतिम विजय तिलक या
अंतिम प्रयाण तिलक करने की बोली का द्रव्य * अंजनशलाका-प्रतिष्ठा आदि धार्मिक किसी भी कार्य हेतु की जानेवाली बोलियाँ
(चढावा-ऊछामणी) के प्रसंग पर संघ को बिराजमान करने की जाजम
(शतरंजी-दरी) बिछाने की बोली का द्रव्य धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ?
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