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१९ - झालर/डंका
२४ - 'केशर घिसने का पत्थर २० - पूजा की थाली-बाटकियाँ २५ - शिखर पर की ध्वजा २१ - कलश-तांबाकुंडी
२६ - नाडाछडी (मौली) २२ - आरती-मंगल दीया
२७ - इत्र,वर्ख, बादला (चमकी) २३ - जिनमंदिर हेतु जरूरी साबुन आदि २९ - आंगी हेतु सामान इत्यादि * इस द्रव्य में से पुजारी का मानदेय एवं उसे पूजा हेतु कपड़े खरीद कर दे
सकते हैं। * भंडार, सिंहासन,दीपक हेतु काँचकोहंडीयाँ आदिला सकते हैं। * केशर-चंदन घिसनेवाले आदमी का मानदेय, उसे पूजा के कपड़े देना,
अंगलूछने का कपड़ा, पूजा हेतु उपकरण-बर्तन, बर्तन मांजनेवाले आदमियों का मानदेय, मंदिर की देखरेख करनेवाले आदमियों का मानदेय दे सकते हैं । * मंदिर के साथ संबद्ध हर एक चीज, सिंहासन, दरवाजा आदि को
साफसुथरा रखने का खर्चा एवं उसका रखरखाव (रीपेरींग) खर्च भी कर
सकते हैं । * वासक्षेप एवं काजा निकालने का झाडू : ये चीजें मंदिर एवं उपाश्रय दोनों
स्थानों में इस्तेमाल होती हैं, अतः इसका खर्चा साधारण खाते में से ही करें।
नोंध : ऊपर बताया हर खर्चा साधारण खाते में से भी कर सकते हैं । * जिनमंदिर साधारण का भंडार मंदिरजी के अंदरूनी भाग में नहीं रख सकते ।
उसे मंदिरजी के बाहर किसी सुरक्षित योग्य स्थान में ही रखें । केशर-चंदन घिसने के कमरे में रख सकते हैं । * जिनमंदिर संचालन हेतु हर साल योग्य दिन बारहों महिनों की बारह या पंद्रह दिनों का एक ऐसी कुल चौबीस बोलियाँ बुलवाने का आयोजन किया जाए तो उसकी आय में से केशर-चंदन आदि का खर्चा एवं पुजारी का मानदेय आदि
खर्चा निकाला जा सकता है । * श्री जिनमूर्ति एवं श्री जिनमंदिर के कार्यों के अलावा श्रीसंघ की पेढ़ी (कार्यालय) के आदमी तथा उपाश्रय, पाठशाला, आयंबिल भवन (खाता) आदि स्थानों में
धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ?
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