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________________ * यह ज्ञानद्रव्य भी देवद्रव्य की तरह ही पवित्र होने से ज्ञानाभ्यास के अलावा साधु साध्वीजी स्वयं के किसी भी कार्य में इस द्रव्य का उपयोग न करें। * उपरोक्त किसी भी कार्य में, किसी भी चीज की खरीदी हेतु, किसी भी कार्य की मजदूरी हेतु, जैन पंडित को, जैन पुस्तकादि विक्रेता को, जैन ग्रंथपाल को या जैन व्यक्ति को ज्ञानद्रव्य में से रकम नहीं दे सकते । जैनों को श्रावकों का व्यक्तिगत द्रव्य या साधारण द्रव्य देना चाहिए । धार्मिक शिक्षण खाता-पाठशाला : यह खाता सार्मिक श्रावक-श्राविकाओं की ज्ञान-भक्ति हेतु है। श्रावकश्राविकाओं द्वारा धार्मिक पठन-पाठन हेतु स्वद्रव्य अर्पण किया गया हो, वह इस खाते में आता है। उपयोग : * इस द्रव्य में से पाठशाला के जैन-जैनेतर शिक्षक-पंडितादि को वेतन-मानदेय दे सकते हैं । इस पाठशाला एवं शिक्षक-पंडितों का लाभ पू. साधु-साध्वी भी ले सकते हैं एवं श्रावक-श्राविका भी ! ' * पाठशाला में उपयोगी धार्मिक किताबें खरीदने एवं पाठशाला के बालक आदि को इनाम एवं प्रोत्साहन-योजनाओं में भी इस्तेमाल कर सकते हैं । * व्यावहारिक-स्कूली-कॉलेजी शिक्षा हेतु इस द्रव्य का उपयोग कतई नहीं किया जा सकता। * धार्मिक पाठशाला का मकान या जमीन व्यावहारिक शिक्षण हेतु या सांसारिक कार्य हेतु नहीं दे सकते । * पाठशाला के उद्घाटन की बोली का द्रव्य पाठशाला संबंधी किसी भी कार्य में काम ले सकते हैं। ४-५ साधु-साध्वी क्षेत्र * पू. साधु-साध्वीजीओं की भक्ति हेतु (वैयावच्च हेतु) जो द्रव्य दानवीरों से प्राप्त हुआ हो, वह इस खाते में जमा होता है । * दीक्षार्थी भाई-बहिनों की दीक्षा हेतु चारित्र के उपकरणों को अर्पण करने की ६ धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004076
Book TitleDharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhwaj Parivar
PublisherDharmdhwaj Parivar
Publication Year2012
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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