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सादडी श्रा.सु. ७ शुक्रवार पाटी का उपाश्रय श्रावक अमीलाल रतिलाल ! लि. मुनि संबोधविजयजी, धर्मलाभपूर्वक लिखना है कि पत्र मिला । समाचार जाने ।
स्वप्नों का द्रव्य, देवद्रव्य में जावे ऐसी घोषणा गतवर्ष श्री महावीर शासन' में हमारे पू.आ.महाराजश्री के नाम से आ गई है । जैसा हमारे पू. महाराजश्री करें उसी प्रकार हम भी मानते हैं और करते हैं । श्राद्धविधि ग्रन्थ' तथा 'द्रव्य-सप्ततिका' में स्पष्ट बताया गया है। मुनि सम्मेलन में एक कलम देवद्रव्य के लिए निर्णीत कर दी गई है । उस पर हस्ताक्षर भी है । कि बहुना । |
पिछले कुछ वर्षों से ऐसी हवा जान बूझकर फैलाई जा रही है कि पू. पाद आचार्य म. श्री विजयानन्दसूरि महाराजश्रीने राधनपुर में स्वप्नों की आय साधारण खाते में ले जाने का आदेश दिया था । वि.सं. २०२२ के हमारे राधनपुर के चातुर्मास में इस बात का सख्त प्रतिकार करने का अवसर प्राप्त हुआ था । उस समय हमारी शुभनिश्रा में श्री जैन शासन के अनुरागी श्रीसंघ ने प्रस्ताव करके राधनपुर में स्वप्नों की आय को देवद्रव्य में ले जाने का निर्णय किया था । इसके पश्चात् तो समस्त राधनपुर श्रीसंघ में सर्वानुमति से स्वप्नों की आय देवद्रव्य में ही जाती है । .
परन्तु पू. पाद आत्मारामजी महाराजजी जैसे शासनमान्य सुविहित शिरोमणि जैन शासन स्तम्भ महापुरुष के नाम से ऐसी कपोलकल्पित मनघडन्त बातें फैलाई जाती हैं, यह सचमुच दुःख का विषय है । उनके द्वारा रचित 'गप्प दीपिका समीर' नाम के ग्रन्थ में से एक उद्धरण नीचे दिया जा रहा है जो बहुत मननीय और मार्गदर्शक है । __ स्थानकवासी सम्प्रदाय की आर्या श्री पार्वतीबाई द्वारा लिखित 'समकित सार' पुस्तक की समालोचना करते हुए पू. पाद श्री विजयानन्दसूरीश्वरजी महाराज ने स्वप्न की आय के विषय में जो स्पष्टीकरण किया है उससे स्पष्ट होता है कि स्वप्न की उपज देवद्रव्य में ही जाती है।' __ यह पुस्तक पू. पाद आत्मारामजी म. श्री के आदेश से उनके प्रशिष्यरत्न पू. मुनिराज श्री वल्लभविजय महाराजश्रीने सम्पादित की है, जो बाद में पू.आ.म. श्री विजयवल्लभसूरि म.श्री के नाम से प्रसिद्ध हुए । १२४
धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करे ?
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