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अहमदाबाद शाहपुर, मंगलपारेख का खांचा जैन उपाश्रय सुदी १४ धर्मश्रद्धालु सुश्रावक भाई अमीलाल रतिलाल भाई मु. वेरावल योग्य धर्मलाभ । आप का पत्र मिला । सब समाचार जाने । चौदह स्वप्न, पारणा, उपधान की माला का घी देवद्रव्य में ले जाना उचित है । शास्त्र तथा परम्परा के आधारों को साक्षात में शान्ति से समझाया जा सकता है । धर्म भावना में वृद्धि करना ।
C. धर्मविजय का धर्मलाभ
(उक्त अभिप्राय पू. आ.म. श्री विजयप्रतापसूरीश्वरजी म. के पट्टधर पू.आ.म. श्री विजयधर्मसूरिजी महाराज का है ।)
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श्री जैन ज्ञानवर्धक शाला,
परम पूज्य प्रातः स्मरणीय आचार्यदेव श्रीमद् विजय अमृतसूरीश्वरजी महाराज तथा पू. मुनिराज श्री पार्श्वविजयजी म. आदि ठाणा ६ की तरफ से -
| धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करे
देवद्रव्य भक्तिकारक सुश्रावक अमीलाल रतिलाल जैन योग्य धर्मलाभ । आप की और से पत्र मिला । पढ़कर समाचार जाने । उत्तर में लिखना है कि
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वेरावल
श्रावण वद १०
चवदह स्वप्न, पारणा, घोडिया तथा उपधान की माला की बोली का घी शास्त्रीय आधार से देवद्रव्य में ही ले जाना चाहिए । उसे साधारण खाते में ले जाना शास्त्र और परम्परा के अनुसार सर्वथा अनुचित है । इस संबंध में शास्त्रीय पाठ है ।
द. जिनेन्द्र विजय का धर्मलाभ
(स्व. पू. आ. श्री जिनेन्द्रसूरिजी म. ) मु. लीम्बडी श्रा. सु. ७
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