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________________ (२६६७) जिनचंद्रसूरि-पादुका ॐ ह्रीं श्रीदादाजी श्रीजिनचंद्रसूरिजी गुरुभ्यो नमः (२६६८) गौतमस्वामी-मूर्ति गणधर श्रीगौतमस्वामिनः प्रतिमेयं बीकानेर वास्तव्यैः ओशवंशीय गोलछा कचराणीगोत्रीय श्रेष्ठि वीजराज फतैचंद सालमचंद प्रेमराज नेमीचंद प्रभृतिः सुश्रावकैः स्वकुटुम्बश्रेयोर्थं कारापितं वि० सम्वत् २००१ वर्षे वै० सु० १३ पं० प्र० श्रीनेमिचंद्रेण प्रतिष्ठिता। (२६६९) विजयशांतिसूरि-मूर्तिः ॐ नम: सिद्धं। सं० २००१ वि० फाल्गुन वदि ५ शनि को जगतगुरु आचार्य सम्राट योगीन्द्रचूड़ामणि जैनाचार्य श्री १००८ श्रीविजयशांतिसूरीश्वरजी की मूर्ति की प्रतिष्ठा श्रीपूज्याचार्य श्रीजिनधरणेन्द्रसूरि के करकमलों से जयपुरवास्तव्य श्रेष्ठी.. (२६७०) शिलापट्टः वि० सं० २००२ मि० सु० १० शुक्रे ओसवाल ज्ञा० हा० को० गो० रावतमलस्यात्मज श्रे० भैंरूदानजी तस्य भार्या चांदकुमारी इत्यनेन श्रीमहावीरस्वामिप्रासाद का० प्र० जं० यु० प्र० भ० जैनाचार्य सि० म० श्रीजिनविजयेन्द्रसूरीश्वरैः विक्रमपुरे॥ (२६७१) पट्टिका-लेखः वि० सं० २००२ मि० सु० १० शुक्रे हा० को० रावतमलस्यात्मज भैंरूदानस्य भार्या चांदकुमारी इत्यनेन श्रीवासुपूज्य वेदिका प्र० जं० यु० प्र० भ० बृ० जैनाचार्य सि० म० जिनविजयेन्द्रसूरि (भिः) विक्रमपुरे॥ (२६७२ ) गौतमस्वामी-मूर्तिः वि० सं० २००२ मार्गशीर्ष शुक्ला १० शुक्रे ओसवाल हाकिम कोठारीगोत्रीय श्रे० रावतमलस्यात्मज श्रे० भैंरूदानजी तस्य भार्या सुश्राविका चांदकुमारी (केन) गणधर श्रीगौतमस्वामीमूर्त्तिः का० प्र० बृ० खरतरगच्छाधिपति सिद्धान्त-महोदधि जं० यु० प्र० भ० जैनाचार्य श्रीजिनविजयेन्द्रसूरिभिः विक्रमनगरे। (२६७३ ) जिनकुशलसूरि-मूर्तिः वि० सं० २००२ मार्गशीर्ष शु० १० शुक्रे ओसवाल वंशे हाकिम कोठारीगोत्रीय श्रे० रावतमल्लजी तस्यात्मज श्रे० भैरूदानजी तस्य भार्या सुश्राविका चांदकुमारी इत्यनेन श्रीदादागुरुदेव श्रीजिनकुशलसूरिमूर्तिः २६६७. दादाबाड़ी, नाकोड़ा: बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक ५०१ २६६८. शांतिनाथ मंदिर, नाहटों में, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १८०७ २६६९. नया मंदिर, जयपुरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ७५१ २६७०. महावीरस्वामी जी का मंदिर, बौरों की सेरी, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १७०५ . २६७१. महावीर जिनालय के अन्तर्गत वासुपूज्य स्वामी का मंदिर, बौरों की सेरी, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १७१४ २६७२. महावीर जिनालय, बोरों की सेरी, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १७०९ २६७३. महावीर जिनालय, बोरों की सेरी, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १७०८ (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह: Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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