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(२६५९ ) शिलालेख:
अस्य नूतन जिनमंदिरस्य निर्माणितं उम्मेदपुरा (गढसिवाना) वास्तव्य समस्त श्रीसंघेन प्रतिष्ठापितश्च प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छीय आचार्य श्रीमज्जिनकृपाचंद्रसूरीश्वराणां पट्टधर आचार्य श्रीमज्जिनजयसागरसूरीश्वरेण नेतृत्वे वि० सं० २००० रा वैशाख सुद ६
(२६६०) जिनदत्तसूरि- पादुका
सं० २००० वर्षे वैशाख शुक्ला ६ श्रीगढसिवाणा उम्मेदपुरा श्रीसंघेन जं । यु । दादा श्रीजिनदत्तसूरीश्वराणां चरणपादुके कारितं खरतरगच्छाधीश्वर श्रीजिनजयसागरसूरिनेतृत्वे पं० यति नेमिचन्द्रेण ।
(२६६१) दादापादुका - युग्म
संवत् २००० वैशाख धवल ६ श्रीसिवाणा उम्मेदपुरा श्रीसंघेन युगप्रधान दादा श्रीजिनदत्तसूरि श्रीजिनकुशलसूरीश्वराणां चरणयुगलं कारितं च प्रतिष्ठित: खरतरगच्छाचार्य श्रीजिनजयसागरसूरि नेतृत्वे पं० यति नेमिचन्द्रेण ।
(२६६२ ) जिनसिद्धिसूरि - पादुका
श्रीमत्खरतराचार्यगच्छीय जैनाचार्य श्रीजिनसिद्धिसूरीश्वरजी महाराज की चरणपादुका बीकानेर निवासी गोलछा कचराणी गोत्रीय श्रे० बीजराजजी फतैचंदजी सालमचंदजी पेमराजजी नेमीचंदजी जयचंदजी की तरफ से बनवाई विक्रम संवत् २००० फा० सु० १ पं० प्र० यति श्रीनेमिचंद्रेण प्रतिष्ठितं
(२६६३) दादा - पादुका - त्रय
सं० २००० विक्रमी फागुण सुदि ५ मुताबिक २८ फरवरी १९४४ वीर निर्वाण सं० २४७० सेवक मुन्नीलाल जैन लाहोर
(२६६४ ) जिनदत्तसूरि - पादुका
ॐ ह्रीं श्रीदादाजी श्रीजिनदत्तसूरिजी गुरुभ्यो नमः
(२६६५) मणिधारी - जिनचन्द्रसूरि - पादुका
ॐ ह्रीं श्रीदादाजी श्रीमणिधारीजी जिनचन्द्रसूरिजी गुरुभ्यो नमः ।
(२६६६ ) जिनकुशलसूरि-पादुका
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ॐ ह्रीं श्रीदादाजी श्रीजिनकुशलसूरिजी गुरुभ्यो नमः
२६५९. वासुपूज्य भगवान् का मंदिर, सिवाना, बाड़मेर: बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक २९१ २६६०. दादाबाड़ी, नाकोड़ा: ना० पा० ती०, लेखांक १६७; बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक ४९७ २६६१. संभवनाथ जी का मंदिर, पादरू, बाड़मेर: बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक १२४
२६६२. रेलदादाजी, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २०९६
२६६३. सुमतिनाथ जिनालय, नवघरा, दिल्ली : भँवर० (अप्रका० )
२६६४. दादाबाड़ी, नाकोड़ा: ना० पा० ती०, लेखांक १६८; बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक ४९८ बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक ४९९ बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक ५००
२६६५. दादाबाड़ी, नाकोड़ा: ना० पा० ती०, लेखांक १६९; २६६६. दादाबाड़ी, नाकोड़ा: ना० पा० ती०, लेखांक १७०;
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खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:
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