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(२६०८) उमेदश्री-पादुका ॐ श्रीमती साध्वीजी उमेदश्रीजी के स्वर्गवास सं० १९८८ का वैशाख वदि ७ वार बृहस्पति को हुआ उसकी चरणपादुका----
(२६०९) नेमिनाथ-पादुका ॥ ॐ ह्रीं श्री श्रीजीनेश्वरजी नेमीस्वर भगवान री चरणपादुका मु॥ सीरदारमल पारसमल वा। जोधपुर वाया टाटीया गोत्रे खरतरगच्छे वाला थापितं वीरमपुरनग्रे मध्येः संवत् १९८८ रा शाके १८५३ रा मासोत्तममासे आसोजमासे शुक्लपक्षे द्वादशी रविवारे:
__(२६१०) जिनकुशलसूरि-पादुका शुभ संवत् १९८८ का माघ सुदि १० ज्ञवारे जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनकुशलसूरि-चरणकमल कारितं उदरामसरवास्तव्य बोह० हजारीमलादिभिः प्रति। महो० श्रीलक्ष्मीप्रधानगणि पौत्र शिष्य उ० जयेन्दुभिः
(२६११) जिनकुशलसूरिमूर्तिः सं० १९८८ माघ सु० दशम्यां बुधवासरे जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनकुशलसूरीश्वराणां मूर्त्तिः बृहत्खरतरगच्छीय श्रीजिनचारित्रसूरिणामादेशाद् उ० श्रीजयचंद्रगणिना प्रतिष्ठिता वीरपुत्र श्रीआनंदसागरोपदेशात नाहटा जसकरण आसकरणयोर्द्रव्यव्ययेन कारापिता॥
' (२६१२) दादापादुका-युग्म श्रीजिनेश्वराय नमः। सं० १९८८ का मिति फाल्गुन सुदि ३ गुरुवासरे श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरिशाखायां पं० प्र० भैरोचंद्रजी तत्शिष्य विष्णुचंद्रेण श्रीजिनदत्तसूरिजी श्रीजिनकुशलसूरिजी चरणपादुका कारापिता...............स्वश्रेयोर्थं शुभं भवतु। प्रति० उ० श्रीमुक्तिकमलगणिशिष्य उ० जयचंद्रगणिभिः॥ श्रीरस्तुनित्यं।
(२६१३) सुवर्णश्रीपादुका सं० १९९० पौष कृ० ८ रविवारदिने बृहत्खरतरगच्छे पूज्य श्रीसुखसागरजी म० के शृंघाटकानुयायिनी प्रवर्तिनी जी सा० श्रीपुण्यश्रीजी म० की पट्टधारिणी प्र० श्रीसुवर्णश्रीजी महाराजके चरण बीकानेर मध्ये श्रीसंघेन कारापितम्। जन्म वि० सं० १९२७ ज्येष्ठ कृ० १२ अहमदनगर दीक्षा सं० १९४६ मिगसर सु० ५ नागौर, स्वर्ग सं० १९८९ माघ कृ०............ शुक्रवार दिने
२६०८. रेलदादाजी के बाहर, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २१२५ २६०९. नेमिनाथ जी की टोंक, नाकोड़ा: ना० पा० ती०, लेखांक १२९, बा० प्रा० ०शि० लेखांक ४९३ २६१०. कुन्थुनाथ जिनालय, उदरामसर, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २२०६ २६११. अजितनाथ देरासर, सुगनजी का उपाश्रय, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १६७४ २६१२. फतेहपुर, शेखावटी: संकलनकर्ता भंवर० २६१३. रेलदादाजी, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २१२८
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(खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः)
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