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________________ गुरुवासरे श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्रीजिनदत्तसूरिसंतानीय श्रीभद्रसूरिशाखायां पृष्ठे पंचचरणपादुका विष्णुदयाल ऋद्धिकरणेन कारापिता स्थापिता स्वश्रेयोर्थं उ० श्रीजयचन्द्रजी गणि पं० खेमचंदजी यतिना विधिना प्रतिष्ठितं श्रीरस्तु कल्याणमस्तु । श्रीजिनकुशलसूरिगुरुभ्यो नमो नमस्तरां ॥ शुभं। १ श्रीचैनसुखजी २ श्रीचिमनरामजी ३ श्रीज्ञानचंदजी ४ गजानंदजी ५ श्रीभैरोचन्द्रजी चरणारविन्दौः दीक्षा १९३३ स्वर्गतिथौ आश्विन शुक्ला द्वादश्यां १२ सं०...... (२६०२) पार्श्वनाथ-एकतीर्थी ॥सं० १९८६ मि। जे।सु। ११ श्रीपार्श्वबिंबं का। श्रीमालवंशे ढोरगोत्रे घासीलाल तत्पुत्र पूनमचंदेन कारि। प्रति। भ। रत्नसूरिभिः।। (२६०३) जिनचन्द्रसूरि-पादुका ॥ सं० १९८६ मिति ज्येष्ठ शुक्ल ११ सोमे इयं । चरणपादुका जं। यु। प्र। बृ। भ। श्रीजिनचन्द्रसूरीश्वराणां कारापितं जैपुरवास्तव्य ढोरगोत्रे गोपीचंद्र तत्पुत्र मांगीलालेन प्रतिष्ठितं रंगविजयखरतरगणे श्री॥ (२६०४) जिनरंगसूरि-पादुका ॥ सं० १९८६ मिति ज्येष्ठ शुक्ल ११ सोमे इयं चरणपादुका। जं। यु। प्र। बृ। भट्टारक श्रीजिनरंगसूरीश्वराणां कारापिता जैपुर वास्तव्य ढोरगोत्रे गोपीचन्द्र तत्पुत्र मांगीलालेन प्रतिष्ठितं रंगविजयखरतरगणे श्री। (२६०५) पादुका-चतुष्टय सं० १९८७ का ज्येष्ठ सुदि ५ रविवारे श्रीसंघेन का० प्र० श्रीजिनचारित्रसूरिभिः श्रीसंघ- श्रेयो) श्रीजिनदत्तसूरिजी श्रीजिनचंद्रसूरिजी श्रीजिनकुशलसूरिजी श्रीजिनभद्रसूरिजिः (२६०६) जिनदत्तसूरि-मूर्तिः जं० यु० भट्टारक श्रीजिनदत्तसूरिमूर्ति श्रीबीकानेरवास्तव्य समस्त श्रीसंघेन का० प्र० श्रीजिनचारित्रसूरिभिः सं० १९८७ का ज्येष्ठ सुदि ५ रविवारे श्रीसंघ श्रेयोर्थम् (२६०७) आदिनाथ-एकतीर्थी सं० १९८७ मि। माघ सुदि ६ ऋषभजिनबिंबं प्र। भ। श्रीजिनरत्नसूरिभिः । २६०२. पूनमचंद ढोर का गृहदेरासर, जयपुरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ७०० २६०३. श्रीमालों की दादाबाड़ी, जयपुरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ७०१ २६०४. श्रीमालों की दादाबाड़ी, जयपुरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ७०२ २६०५. रेलदादाजी, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २०३४ २६०६. रेलदादाजी, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २०३३ २६०७. श्रीमालों की दादाबाड़ी, जयपुरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ७०३ (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः) ४४९) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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