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________________ (२००३) सुपार्श्वनाथः ___ सं० १९०० मिते आषाढ़ सुदि ९ गुरौ श्रीअजीमगंजे श्रीसुपार्श्वनाथबिंबं प्रतिष्ठितं बृहत्खरतरगच्छेश श्रीजिनहर्षसूरि पट्टालंकार श्रीजिनसौभाग्यसूरि................... (२००४) शांतिनाथ: ___ सं० १९०० आषाढ़ सित ९ गुरौ श्रीशांतिनाथबिंबं बृ।ख। भ। गच्छेश। भ। श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः कारितं च ओसवंशे भोलानाथेन स्वश्रेयोर्थम ।। (२००५) पार्श्वनाथ-मूलनायकः सं० १९०० मिते आषाढ़ सित ९ गुरौ श्रीपार्श्वनाथबिंबं प्रतिष्ठापितं बृहत्खरतरभट्टारकगच्छेश भ। श्रीजिनहर्षसूरीश्वर पट्टालंकार श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः....................दासभार्या सादा वीदा स्वश्रेयोर्थं । (२००६) पार्श्वनाथ: सं० १९०० आषाढ़ सुदि ९ प्रति। भ। श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः कारितं नेमचंद स्वश्रेयोर्थं (२००७) महावीरः सं० १९०० मि० आषाढ़ सि० ९ गुरौ श्रीमहावीरजिनबिंबं प्रति० खरतरभट्टारकगच्छे भट्टारक श्रीजिनहर्षसूरिपट्टे दिनकर भ० श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः कारितं तेन ओसवंशे दूगड़गोत्रे भोलानाथ पुत्र दोलतरामेन स्वश्रेयसोर्थम्। ___(२००८) विंशतिजिन-पादुकाः सं० १९०० मिते आषाढ़ सित ९ गुरौ विंशतिजिनेश्वराणां चरणन्यासा प्रतिष्ठिता श्रीखरतरभट्टारकगच्छे ........श्रीजिनहर्षसूरिपट्ट दिनकर जं। यु। भ। श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः कारितं च श्रीअग्रपुर वास्तव्य वैद मुहता रिद्धकरण सहजकरणेन............... | (२००९) पद्मप्रभ-पादुका ॐनमः सु० सं० १९०० वर्ष मार्गशीर्ष मासे शुक्लपक्षे १० द० श्रीपद्मप्रभुकस्य चरण क० प्र० श्री वृ० ष० ग० भ० श्रीजिननन्दीवर्द्धनसूरि वा० श्रीमुनिविनयविजयजि तत् शि० मु० कीर्तुदयोपदेशात् बाबू षुस्यालचन्द पीपाडागोत्रीयास्य पत्नी पराणकुंवरेन प्र० का० श्रीवैभारगिरे शुभमस्तु॥ २००३. सुपार्श्वनाथ मंदिर, मधुवन, सम्मेतशिखर : संकलनकर्ता भँवर० २००४. चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर, मधुवन, सम्मेतशिखर : संकलनकर्ता भँवर० २००५. पार्श्वनाथ का मंदिर, मधुवन, सम्मेतशिखर : संकलनकर्ता भँवर० २००६. अजितनाथ जिनालय, कोचरों में बीकानेर, ना० बी०, लेखांक १५६२ २००७. जैनमंदिर, पाटलिपुत्र, पटना : पू० जै० भाग १, लेखांक ३०६ २००८. सुपार्श्वनाथ जी का मंदिर, मधुवन, सम्मेतशिखर : संकलनकर्ता भंवर० २००९. जैनमंदिर, वैभारगिरि, राजगिर : पू० जै०, भाग १, लेखांक २६४ (३५४) (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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