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________________ (१९९६) आदिनाथः संवत् १९०० आषाढ़मासे सितपक्षे ५ रवौ.......गोत्रीय...........चारित्रउदय उपदेशेन श्रीमद्धृहत्भट्टारकखरतरगच्छीय........श्रीजिननंदीवर्द्धनसूरिभिः॥ (१९९७ ) सपरिकर-पार्श्वनाथ- मूलनायकः संवत् १९०० आषाढ़ सुदि ५ रवौ श्रीपार्श्वजिनबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीमबृहत्भट्टारकखरतरगच्छे ..श्रीजिननंदीवर्द्धनसूरिभिः॥ . (१९९८) पार्श्वनाथ-मूलनायकः ॥ सं० १९०० वर्षे शाके १७६५ प्रमिते आषाढ़ सित ५ रवौ श्रीजयनगरवास्तव्य श्रीसंघेन श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं चारित्रउदय प्रतिष्ठितं श्रीमबृहद्भट्टारकखरतरगच्छीय श्रीजिनाक्षयसूरिपदस्थ श्रीजिनचन्द्रसूरिचरणमधुकरेण श्रीजिननंदीवर्द्धनसूरिभिः पूजका समृद्धिः॥ (१९९९) आदिनाथ: संवत् १९०० मिति आषाढ़ सित ९ गुरौ श्रीआदिनाथबिंबं प्रतिष्ठितं । बृहत्खरतरभट्टारकगच्छेश भ० । श्रीजिनहर्षपट्टे दिनकर भ० श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः कारितं च श्रीमालवंशे टांकगोत्रे मोहणदास पुत्र हनुतसिंहस्य भार्या फूलकुमार्या स्वश्रेयो) । (२०००) ऋषभदेवः सं० १९०० । मिते आषाढ़ सित ९ गुरौ श्रीऋषभदेवबिंबं प्रतिष्ठितं खरतरभट्टारकगच्छेश श्रीजिनहर्षसूरि पट्टदिवाकर........श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः-----------------बाबूनेमचंद भार्या महताब बीबी श्रेयोर्थं ॥ (२००१) संभवनाथः । सं० १९०० मिते आषाढ़ सित ९ गुरौ श्रीसंभवनाथबिंबं प्रतिष्ठितं बृहत्खरतरभट्टारकगच्छेश। श्रीजिनहर्षसूरि पट्टालंकार भ० । श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः कारितं च चोपड़ा कोठरी केसोदास भार्या परभादे कया पुत्ररत्न माहसिंह आसकरण पौत्र मेघराजयुतया स्वश्रेयोर्थं । (२००२) सुपार्श्वनाथ-पञ्चतीर्थीः सम्वत् १९०० मिती आषाढ़ सुदि ९ गुरौ श्रीअजिमगंजे श्रीसुपार्श्वनाथबिंबं................. प्रतिष्ठितं बृहत्खरतरगच्छेश भ श्रीजिनहर्षसूरि पट्टालंकार श्रीजिनसौभाग्यसूरिभिः कारितं च श्रीबीकानेरवास्तव्य समस्तसंघेन श्रेयोर्थं ॥ श्री॥ १९९६: श्रीमालों की दादाबाड़ी, जयपुर : प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ४९८ १९९७. श्रीमालों की दादाबाड़ी, जयपुर : प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ४९९ १९९८. श्रीमालों का मंदिर, जयपुर : प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ५०० १९९९. पद्मप्रभ जिनालय, अजीमगंज, मुर्शिदाबाद : पू० जै० भाग १, लेखांक १२ २०००, मधुवन, सम्मेतशिखर: संकलनकर्ता भँवर० २००१. मूलमंदिर, मधुवन, सम्मेतशिखर: संकलनकर्ता भंवर० २००२. मंदिर, मधुवन, सम्मेतशिखर : जै० धा० प्र० ले०, लेखांक ३५८ (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:) ३५३) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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