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________________ (१९५९) गौड़ीपार्श्वनाथ-पादुका सं० १८९६ रा ज्ये। सु। १३ श्रीगवडीपार्श्वजितां पादुके करापिते श्रीआणंदरत्न गणिना प्रतिष्ठितं अपरनाम्ना उदयचन्द्रेण। ___ (१९६०) पार्श्वनाथ-एकतीर्थी: सं० १८९६ फा० व० ५ श्रीपार्श्वनाथबिंबं प्रतिष्ठितं श्रीजिनमहेन्द्रसूरिणा। फो० गो० सेवाराम। (१९६१) गौडीपार्श्वनाथ-पादुका ॥ श्रीगोड़ीपार्श्वनाथ पादुका कारितं ब्रह्मसर संघेन श्री जं। यु। भ। महेन्द्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं १८९६ मि० फागुण सुदि ४ (१९६२) मणिधारी-जिनचन्द्रसूरि-पादुका ॥ सं० १८९६ वर्षे मिती फागुण सुदि ४ तिथौ शनिवारे श्रीमबृहत्खरतरगच्छे ब्रह्मसर ना समस्त श्रीसंघेन श्री जं। यु। भ। मणियाला जिनचन्द्रसूरिजी गुरो पादुका कारितः श्री जं।यु। भ० । श्रीजिनमहेन्द्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं॥ (१९६३) शिलापट्ट-प्रशस्तिः १॥ श्री ऐं नमः॥ संवत् १८९७ वर्षे शाके १७६२ प्रवर्त्तमाने मा२ सोत्तममासे वैशाखमासे शुक्लपक्षे षष्ठ्यां तिथौ ६ गुरुवारे बृहत्३ खरतरचार्य गच्छीय समस्त श्रीसंघेन श्रीशांतिनाथस्य प्रासादं ४ कारितम्। प्रतिष्ठितं च भट्टारक जंगम युगप्रधान भ५ ट्टारक शिरोमणि श्री श्री १००८ श्री जिनोदयसूरिभिः ६ महाराजाधिराज राजराजेश्वर नरेन्द्र शिरोमणि महाराज ७ श्री श्री रतनसिंह जी विजयराज्ये इति प्रशस्ति ॥ छ। ८ ज्यां लग मेरु अडिग्ग है जहां लग सूरज चंद। तहां ९ लग रहज्यो अचल यह जिनमंदिर सुखकंद॥ १॥ श्री: १० ॥ श्री संघयुता: तांकारक पूजकानां श्रेयोस्तु सततं श्री: (१९६४) शान्तिनाथ-मूलनायकः १ संवत १८९७ रा वर्ष शाके १७६२ प्रवर्त्तमाने मासोत्तममासे वैशाखमासे। शुक्लपक्षे तिथौ षष्ठ्यां गुरुवारे विक्रमपु १९५९. दफ्तरियों का मंदिर, मंडोवरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ४९१ १९६०. अजितनाथ जिनालय, कटरा, अयोध्याः पू० जै०, भाग २, लेखांक १६४४ १९६१. दादाजी का स्थान, ब्रह्मसर, जैसलमेर: पू० जै०, भाग ३, लेखांक २५८७ १९६२. दादाजी का स्थान, ब्रह्मसर, जैसलमेर: पू० जै०, भाग ३, लेखांक २५८८ १९६३. शान्तिनाथ जिनालय, नाहटों में, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १७९४ १९६४. शान्तिनाथ जिनालय, नाहटों में, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १७९५ (३४६) (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह: Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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