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________________ (४९) टकर असवार २०० घरू और अंगरेजी जाबतो चपरासी तिलंगा सोनेरी रूपैरी घोरेवाला जायगा २ परवाना बोला(५०) वा एवं पालख्यां ७ हाथी ४ म्याना ५१ रथ १०० गाड़ियां ४०० ऊंठ १५०० इतातो संघव्यां रा घरु संघ री गाड्यां ऊंठ प्रमुख न्यारा (५१) सर्व खरचरा तेरेलाख रुपया लागा इति संघ री संक्षेप पणै प्रशस्ति ॥ और पिण ठिकाणै २ धर्म रा काम कस्या सो संषेप (५२) लिखिये छै श्रीधूलेवाजी रै मंदिर बारणै नोबतखानो करायो गहणो चढायो लाख एक लागा मगसीजी रै मंदिर रो जीर्णोद्धार क(५३) रायो उदैपुर मैं मंदिर २ दादासाहिब री छतरी धर्मशाला कराई कोटा मैं मंदिर २ धर्मशाला दादासहिब री छतरी कराई (५४) जेसलमेरु मैं अमरसागर मैं बाग करायो जिणमैं मंदिर करायो जयवंतां रो उपासरो करायो लुद्रवैजी मैं धर्मशा(५५) ला कराई गढ माथे जमी मंदिरां वास्ते लीवी बीकानेर मैं दादासाहिब री छतरी कराई इत्यादिक ठिकाणे २ धर्मरा आ(५६) हीठांण कराया श्रीपूज्यजी रा चौमासा जायगा २ कराया पुस्तकां रा भंडार कराया भगवतीजी प्रमुख सुण्या प्र(५७) श्र दीठ २ मोती धस्यो कोठी मैं दोय लाख रुपया देनैं बंदीखानों छुडायो बीज पांचम आठम इग्यारस चउदसरा (५८) उजमणा कीया इत्यादिक काम धर्म रा कीया फेर ठिकाणे ठिकांणे धर्म रा काम कराय रह्या है इण मुजब हीज (५९) सवैयो ३१ सो॥ सोभनीक जैसाणै मैं बाफणा गुमानचंद ताके सुत पांच पांच पांडव समान है। संपदा मैं अच(६०) ल बुध मैं प्रबल राव रांणा ही मां. जाकी कान है। देव गुरु धरम रागी पुण्यवंत बडभागी • जगत सह वात जानै (६१) प्रमान है देसहू विदेश मांह कीरत प्रकास कीयो सेठ सहु हेठ कवि करत बखान है ॥ १ दूहा ॥ अठारसै छि(६२) नूवै जेठ मास सुदि दोय लेख लिख्यो अति चूंप सूं भवियण वांचो जोय॥ १ सकल सूरि सिर मुगटमणि (६३) श्रीजिनमहेन्द्रसूरिंद चरण कमल तिनके सदा सेवै भवियण वृंद ॥ २ कीनो अति आग्रह थकी जेश(६४) लमेरु चोमास संघ सहू भक्ति करै चढतै चित्त उलास ॥ ३ ताकी आज्ञा पाय करि धरि दिल मैं आणंद (६५) ज्युं थी त्युं रचना रची मुनि केसरीचंद॥ ४ भूलो जो परमाद मैं अक्षर घाट ही बाध लिखत षोट आ___(६६) ई हुवै सौ षमीयो अपराध ॥ ५ इति ॥ श्रीः॥ श्रीः॥ खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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