________________
(३४४)
(३२) इकलग करायो चढापै रा साढा तीन लाख रुपया आया सवा महीनो रह्या जीमण घणा हुवा श्रीगोडीजी रै विराजण नै बडो चोतरो
(३३) पक्को करायो ऊपर छतरी बणाई घणो द्रव्य खरच्यो बडो जस आयो अक्षत नाम कीयो साथे गुमास्तो महेसरी सालगरांम हो जिणनैं जै
(३४) नरा शिवरा सर्व तीर्थ कराया पछै अनुक्रमें संघ पाली आयो जीमण १ करनै दानमल्ल कोटे गयो भाई ४ जेसलमेरु आया डेरा दरवाजै
(३५) वाहिर कीया पछै सामेलो बडा थाट सूं हुवो श्रीरावलजी सांम पधारया हाथी रे होदै संघव्यां मैं श्रीरावलजी आपरे पूठै बैसाण नै
(३६) सारा सहर मैं हुय देहरा जुहार उपासरै आय हवेल्यां दाखल हुवा पछै सर्व महेसरी वगेरै बत्तीस पौन नें लुगायां समेत पांच पकवान
(३७) सूं जीमायो ब्राह्मणा नैं जणै दीठ एक रुपयो दिषणा रो दीयो पछै श्रीरावजी जनाने समेत संघव्यां री हवेली पधारया रुप्यां सूं चांत
(३८) कीयो सिरपेच मोत्यांरी कंठी कड़ा मोती दुसाला नगदी हाथी घोड़ा पालखी नीजर कीया पाछा श्रीरावलजी इण मुजब हीज सिर
(३९) पाव दीयो एक लुद्रवोजी ताबां पत्रां पट्टे दीयो इतो इजाफो कीयो आगे पिण इणांरी हवेली उदैपुर रांणोजी कोटेरा महारावजी
(४०) बीकानेररा किसनगढरा बूंदीरा राजाजी इंदोरा हुलकरजी प्रमुख सर्व देसांरा राजवी जनांनै समेत इणारै घरे पधारया देणो
(४१) लेणो हजारां रो कीयो दिल्ली रै पातसां री अंगरेजां रे पातसां री दीयोड़ी सेठ पदवी सुविख्यात हीज है छै संघरी लाहण न्यात मै
(४२) दीवी पुतली १ हेमरी थाली १ मीश्री सेर १ घर दीठ पछै बहादरमल्लजी लारै लाहण कीवी रुपया ५) थाली १ मिश्री सेर
(४३) १ घर दीठ दीवी जीमण कीयो पछै सहर मैं ठावां २ नैं सिरपाव दीया पछै गढ मांहला मंदिरां लुद्रवे उपासरे वडै चढापो कीयो इण
(४४) मुजब हीज उदेपुर कोटे देणो लेणो कीयो हिवै संघमैं देरासर रो रथ हा जिणरा ५१००) लागा त्रगडो सोना रूपैरा २
(४५) जिणरा १००००) लागा मंदिर रा सुनैरी रूपैरी बासणां रा १५०००) लागा । दूजा फुटकर सरंजामनै लाख एक रुपया
(४६) लागा। हमै संघ मैं जाबतो हो तिणरी विगत । तोपा ४ पलटण रा लोक ४००० असवार १५० नगारे निसांण समेत उदैपुर रारा
(४७) णौजीरा असवार ५०० नगारै निसांण समेत कोटे रा महारावजी रा असवार १०० नगारै निसांण समेत जोधपुर रै राजाजी
(४८) रा असवार ५० नगारै निसांण समेत । पाला १०० जेसलमेर रा रावलजी रा असवार २०० ट्रंक रे नबाब रा असवार ४०० फु
Jain Education International
(खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org